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मध्य प्रदेश: कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता शावक की मौत, तेंदुए से हुई झड़प में गई जान

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में ज्वाला की 20 माह की मादा चीता शावक मृत पाई गई. वह फरवरी 2025 में मां और तीन भाई-बहनों संग जंगल में छोड़ी गई थी. एक माह पहले मां से और हाल ही में भाई-बहनों से अलग हुई थी. प्रारंभिक जांच में मौत का कारण तेंदुए से झड़प बताया गया.

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चीता 21 फरवरी 2025 को अपनी मां और तीन भाई-बहनों के साथ जंगल में छोड़ी गई थी. (Photo: Representational)
चीता 21 फरवरी 2025 को अपनी मां और तीन भाई-बहनों के साथ जंगल में छोड़ी गई थी. (Photo: Representational)

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से एक दुखद खबर सामने आई है. यहां एक चीता शावक की मौत हो गई. चीता परियोजना के फील्ड डायरेक्टर के अनुसार, रविवार शाम करीब 6:30 बजे ज्वाला की 20 माह की मादा चीता मृत पाई गई. यह चीता 21 फरवरी 2025 को अपनी मां और तीन भाई-बहनों के साथ जंगल में छोड़ी गई थी.

एक माह पहले उसने मां का साथ छोड़ दिया था और हाल ही में अपने भाई-बहनों से भी अलग हो गई थी. प्रारंभिक जांच में उसकी मौत का कारण तेंदुए से हुई झड़प माना जा रहा है.

उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी. फिलहाल कूनो में 25 चीते मौजूद हैं, जिनमें 9 वयस्क (6 मादा और 3 नर) और 16 भारत में जन्मे चीते शामिल हैं. बाकी चीते स्वस्थ बताए जा रहे हैं.

चीता परियोजना से जुड़े अधिकारी लगातार उनकी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं. प्रबंधन का कहना है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को समझने और बेहतर रणनीति तैयार करने के लिए गहन निगरानी जारी रहेगी.

748 वर्ग किलोमीटर में फैला है पार्क
बता दें कि कूनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के श्योपुर और मुरैना जिलों की सीमा पर स्थित है. यह पार्क देश के महत्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्यों में गिना जाता है और विशेष रूप से "चीता पुनर्वास परियोजना" के कारण हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रहा है. इसका क्षेत्रफल करीब 748 वर्ग किलोमीटर है और इसे 2018 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला.

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कैसे पड़ा नाम?
कूनो का नाम यहां बहने वाली कूनो नदी के कारण पड़ा. यह क्षेत्र अरावली और विंध्याचल पर्वतमालाओं के बीच फैला हुआ है और यहां का भू-भाग पहाड़ी, झाड़ीदार और घासभूमि से भरपूर है. पार्क का वातावरण शुष्क पर्णपाती जंगल (Dry Deciduous Forest) के रूप में जाना जाता है, जहां साल, खैर, साजा, बांस और महुआ जैसे पेड़-पौधे पाए जाते हैं.

पाएं जाते हैं ये जीव
यहां कई दुर्लभ और विलुप्तप्राय जीव-जंतु भी पाए जाते हैं. इनमें तेंदुआ, भालू, जंगली कुत्ता, लकड़बग्घा, सांभर, नीलगाय और चिंकारा प्रमुख हैं. 2022 से यहां अफ्रीकी चीता परियोजना शुरू की गई, जिसके तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीते लाकर छोड़े गए. वर्तमान में यह भारत में चीतों की संख्या बढ़ाने और उनके संरक्षण की दिशा में सबसे बड़ी कोशिश है.

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