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किसी के जख्म पर चाहत से पट्टी कौन बांधेगा, अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बांधेगा

किसी के जख्म पर चाहत से पट्टी कौन बांधेगा, अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बांधेगा

किसी के जख्म पर चाहत से पट्टी कौन बांधेगा, अगर बहनें नहीं होंगी तो राखी कौन बांधेगा, तुम्हारी महफिलों में हम बड़ेबूढ़े जरूरी हैं, अगर हम ही नहीं होंगी तो पगड़ी कौन बांधेगा... साहित्य आजतक के मंच पर मां और बहन के पवित्र रिश्तों पर लिखी प्रख्यात शायर मुनव्वर राना

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