नई दिल्लीः प्रथम 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' में उर्दू भाषा और उससे अनूदित उपन्यासों की धूम रही. देश में राशि के मामले में अपनी तरह के इस सबसे बड़े सम्मान का प्रथम स्थान जहां उर्दू में लिखित उपन्यास 'अल्लाह मियां का कारखाना' अर्जित किया, वहीं विजेता के रूप में चुनी गई अंतिम कुल छः कृतियों में 3 कृतियां उर्दू भाषा की रहीं. विजेता उपन्यास 'अल्लाह मियां का कारखाना' के लेखक मोहसिन खान हैं, और इसका हिंदी अनुवाद सईद अहमद ने किया है.
राजधानी में आयोजित एक भव्य समारोह में इन पुरस्कारों की घोषणा के साथ ही 'अल्लाह मियां का कारखाना' उपन्यास के विजेता लेखक मोहसिन खान और हिंदी अनुवादक सईद अहमद को 'बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' के रूप में क्रमशः रुपए 21 लाख और रुपए 15 लाख की सम्मान राशि प्रदान की गई. प्रथम पुरस्कार विजेता उर्दू उपन्यास 'अल्लाह मियां का कारखाना' के अलावा जिन पांच उपन्यासों को उप विजेता पुरस्कार मिला है, उनमें ओड़िआ का 'अभिप्रेत काल', उर्दू का 'चीनी कोठी', बांग्ला का 'घर पालनो छेले', उर्दू का 'नदीष्ट' और उर्दू का ही 'नेमत खाना' शामिल हैं. इस अवसर पर अन्य पांच उप विजेता लेखकों और संबंधित हिंदी अनुवादकों में से प्रत्येक को क्रमशः रुपए 3 लाख और रुपए 2 लाख की सम्मान राशि से सम्मानित किया गया.
यह आश्चर्य की बात है कि देश की आठवीं अनूसूची में शामिल कुल 22 भाषाओं में से 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान 2023' के लिए आखिरी चरण में केवल ओड़िआ, उर्दू, बांग्ला और मराठी की कृतियां ही पहुंच सकीं. इस सम्मान का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में बहानापे को बढ़ावा देने के साथ ही राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी को स्थापित करने की दिशा के रूप में एक कदम के रूप में देखा जा सकता है. इससे न केवल हिंदी में स्तरीय कृतियों के अनुवाद और प्रकाशन को बढ़ावा और सम्मान मिलेगा, बल्कि अब तक उपेक्षित समझे जा रहे अनुवाद कर्म और अनुवादकों को भी उनका यथोचित सम्मान मिलेगा.
संभवतः इसीलिए देश के इस राष्ट्रीकृत बैंक ने 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान 2023' की पांच सदस्यीय पुरस्कार निर्णायक समिति में देश के चर्चित लेखकों को रखा. सम्मान समिति की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका गीतांजलि श्री ने की, तो निर्णायक समिति के अन्य सदस्यों में कवि अरुण कमल; शिक्षाविद् और आहार आलोचक पुष्पेश पंत; कवि और उपन्यासकार अनामिका तथा लेखक, अनुवादक प्रभात रंजन शामिल रहे.
निर्णायक समिति ने विजेता उपन्यास के अलावा उपविजेता उपन्यास के रूप में जिन लेखकों और अनुवादकों की कृति का चयन किया उनमें ओड़िआ में पारमिता शतपथी द्वारा लिखित और अजय कुमार पटनायक द्वारा हिंदी में अनूदित 'अभिप्रेत काल'; उर्दू सिद्दीक आलम द्वारा लिखित अर्जुमंद आरा द्वारा अनूदित 'चीनी कोठी'; बांग्ला में मनोरंजन ब्यापारी द्वारा लिखित 'घर पलानो छेले' और हिंदी में अमृता बेरा द्वारा अनूदित 'भागा हुआ लड़का'; मराठी में मनोज बोरगावकर द्वारा लिखित और गोरख थोरात द्वारा अनूदित 'नदीष्ट' और उर्दू में खालिद जावेद द्वारा लिखित और जमान तारिक द्वारा अनूदित 'नेमत खाना' शामिल है.
याद रहे कि 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' को विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्रकाशित प्रतिष्ठित उपन्यासों और उनके अनूदित और प्रकाशित हिंदी संस्करणों को रेखांकित करने और उन्हें सम्मानित करने के लिए स्थापित किया गया है. बैंक द्वारा की गयी पहल भारतीय भाषाओं को और समृद्ध करने में मदद करेगी और इन उत्कृष्ट कृतियों को एक बड़े पाठक वर्ग को उपलब्ध कराने में अहम भूमिका निभाएगी. भारत की भाषाई विविधता को देखते हुए किसी भी बैंक द्वारा की गई यह कोशिश निश्चय ही सराहनीय है, पर इसका फलक और भी व्यापक होना चाहिए. देश की विविध भाषाओं में विपुल साहित्यिक सामग्री है, पर उनके प्रकाशन संबंधी दिक्कतों को देखते हुए केवल पिछले साल के प्रकाशित उपन्यासों का चयन थोड़ा कठिन है.
हालांकि इस अवसर पर बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजीव चड्ढा ने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान 2023' के पहले वर्ष के विजेता मोहसिन खान और सईद अहमद और नामांकित अन्य शॉर्टलिस्ट कृतियों के लेखकों और अनुवादकों को मेरी हार्दिक बधाई. बैंक ऑफ़ बड़ौदा की विरासत महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ से मिली है, जिन्हें एक सुधारक के साथ-साथ साहित्य और कला का पारखी माना जाता है. इस विरासत को आगे बढ़ाते हुए, बैंक ऑफ बड़ौदा ने देश के अलग-अलग हिस्सों से प्रतिभाशाली लेखकों को एक राष्ट्रीय मंच प्रदान करने के लिए 'बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान' की स्थापना की है.
चड्ढा ने कहा कि भारत एक बहुभाषी देश है और यहां बोली जाने वाली विभिन्न भाषाएं इसकी विविधता और समृद्ध विरासत को और अधिक समृद्ध बनाती हैं. इस पहल के जरिए, बैंक का लक्ष्य देश के साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करना है. याद रहे कि औपचारिक रूप से इस सम्मान की घोषणा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान जनवरी 2023 माह में की गई थी. जिसकी सूचना सबसे पहले साहित्य तक ने प्रसारित की थी.
बैंक ने मार्च-अप्रैल 2023 की अवधि के दौरान पुरस्कारों के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की थी. पहले चरण में, बैंक ने मई 2023 में 12 पुस्तकों की लॉन्गलिस्ट की घोषणा की, आगे चलकर जिसमें से छह शॉर्टलिस्ट की गईं और इनमें से विजेता का चयन किया गया. दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह भारत के अमृतसर जिले के गुरु की वड़ाली के वडाली ब्रदर्स, सूफी गायकों और संगीतकारों द्वारा दी गई संगीत प्रस्तुति के साथ संपन्न हुआ.