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'ये रिश्ते इसलिए खूबसूरत हैं क्योंकि ये अधूरे हैं...', प्रेम पर साहित्य आजतक में खुलकर बोलीं शचि पाठक 'फिरदौस'

'शराब की खुमारी में तुम्हारे जैसी मैगी बना सकूं, बस उसकी विधि मांग रही हूं...', साहित्य आजतक 2025 की महफिल में जब कवयित्री शचि पाठक 'फिरदौस' ने अपने प्यार के अनुभवों को श्रोताओं संग बांटा तो कोई सिहर रहा था, कोई मुकर रहा था, कोई मुस्कुरा रहा था, तो कोई रो रहा था.

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सहित्य आजतक में शचि पाठक ने सुनाई प्रेम में डूबी कविताएं (Photo - ITG)
सहित्य आजतक में शचि पाठक ने सुनाई प्रेम में डूबी कविताएं (Photo - ITG)

दिल्ली के ध्यानचंद स्टेडियम में चल रहे साहित्य आजतक का आज दूसरा दिन है. शनिवार की देर सुबह, गुनगुनी धूप, गुलाबी सर्दी और बीच-बीच में चुभते प्रदूषण के कणों के बीच जब युवा कवयित्री शचि पाठक 'फिरदौस' ने प्रेम में पगी कविताएं सुनाई तो दर्शक दीवाने हो उठे. उन्होंने कहा मेरी जिंदगी में इश्क और मोहब्बत के बीच चुनने को आया तो मैंने मोहब्बत को चुना और तब इश्क बहुत रोया. 

प्रोग्राम की शुरुआत करते हुए शचि पाठक ने श्रोताओं से पहला सवाल पूछा कि आपमें से किसने जिंदगी में कई बार प्यार किया है. कशमकश में कुछ हाथ उठे तो कुछ चेहरे शरमाए. 

उन्होंने जीवन के सफर में प्यार को परिभाषित करते हुए कहा कि प्यार तो सच्चा ही होता है, जो झूठा हो प्यार क्या. प्यार सिर्फ एहसास नहीं है, यह एक एक्शन है, रोज सुबह उठकर तय करना होता है- आज मैं प्यार करूंगी. कुछ नसीब वालों की जिंदगी में ऐसा समय आता है जब बुद्धि चली जाती है तेल लेने. उस सिचुएशन का नाम होता है राइट पर्सन, रॉग टाइम. मेरी जिंदगी में ऐसा शख्स आया तो बहुत अच्छा था. लेकिन समय गलत था. हम लोग बहुत बातें करते थे. 

उन्होंने कहा कि उस इश्क का कोई मुकाबला नहीं जो आपको आप जैसे इंसान से हो जाए. 

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शचि पाठक ने कहा कि कुछ नसीब वाले होते हैं वो लोग जिन्हें प्रेम में वक्त थोड़ा कम मिला हो, जिन्हें रिश्ते का अंत कब होना हो, वो पता हो, क्योंकि तब वो ज्यादा प्रेम कर पाता है, उन्हें छू पाता है, एहसास कर पाता है. दुनिया के सारे ऐतिहासिक प्रेमियों के किरदार अंत में साथ नहीं हो पाते थे. जैसे सुधा-चंदर, लैला मजनूं, अमृता-साहिर. ये रिश्ते इसलिए खूबसूरत हैं क्योंकि ये अधूरे हैं. 

उन्होंने कहा कि मुझे ये मेरा भ्रम उस रिश्ते की सच्चाई से बेहतर लगता है. जब मैंने इस रिश्ते की सच्चाई को कुबुल किया तो मेरा सफर हुआ फिरदौस का. शचि ने कहा कि फिरदौस मेरे होने का एक हिस्सा है, एक सफर है जिस पर मैं चल पड़ी हूं, ये मेरा अल्टर इगो है. ये मेरा सफर तब शुरू हुआ जब मैंने एक सही शख्स से गलत समय पर प्यार किया. 

एक दिन मैंने उससे पूछा जो हमारे बीच है वो क्या है, कैसे है. तो उसने कहा- हमारा इश्क समय की सीमा से परे जा चुका है. 

उन्होंने कहा कि इश्क वो है जो नहीं मिला है और जो मुकम्मल हो गया है वो मोहब्बत है. शचि ने कहा कि मेरे जिंदगी में इश्क और मोहब्बत के बीच चुनने को आया तो मैंने मोहब्बत को चुना और इश्क बहुत रोया. 

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उन्होंने दीप्ति मिश्र की गजल सुनता हुए कहा-

वो नहीं मेरा मगर उससे मोहब्बत है तो है
ये अगर रश्मों-रिवाजों से बगावत है तो है. 
कब कहा मैंने कि वो मिल जाये मुझको मैं उसे
गैर न हो जाये वो बस इतनी हसरत है तो है.

शचि पाठक ने कहा कि, 'शराब की खुमारी में तुम्हारी जैसी मैगी बना सकूं, बस उसकी विधि मांग रही हूं, हां अपनी दिल की तसल्ली के लिए तुमसे दोस्ती मांग रही हूं. बेहतर होगा अब कभी न मिले, बेहतर होगा मेरे मन में तुम्हारी जैसी स्मृति है, वैसी बनी रहे. हमारा बात न करना अब जरूरी है, तेरा मुझसे और मेरा तुझसे दूर रहना जरूरी है. शायद कायनात को यही मंजूर होगा, अगले जन्म में मिलने के लिए इस जन्म में बिछड़ना होगा. 

आखिर में उन्होंने कहा प्रेम तो बस विदा लेता है, अलविदा नहीं, प्रेम तो सदा के लिए होता है, क्षण भर के लिए नहीं, प्रेम तो आजाद होता है...

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