
शब्द और सुरों के महाकुंभ 'साहित्य आजतक' के दूसरे दिन गीतकार राजशेखर, शैली और कुमार ने शिरकत की. इस दौरान लिरिसिस्ट कुमार ने अपने गाने 'बेशरम रंग' के बारे में बात करते हुए कहा कि किसी राइटर के सामने पहला टारगेट ये होता है कि गाना कैसे पूरा करना है. खासकर सिद्धार्थ आनंद की फिल्म में क्वालिटी लिखनी है, उन्होंने कहा कि मैंने बेशरम रंग बहुत सोचकर नहीं लिखा, हम इस गाने पर एक महीने से काम कर रहे थे. इसमें एक लाइन है 'नशा चढ़ा जो शरीफी का... उतार फेंका है' यहीं पर गाड़ी अटक गई थी. फिर दो दिन बाद सिद्धार्थ आनंद और विशाल-शेखर बैठे हुए थे, तभी मैंने यूं ही कहा कि बेशरम रंग कहां देखा है दुनिया वालों ने... इसके तुरंत बाद सिद्धार्थ ने कहा कि गाना लॉक हुआ. इस गाने पर हुई कॉन्ट्रोवर्सी पर उन्होंने कहा कि मेरा काम है काम करना, लोगों का काम है बदनाम करना.
गीतकार शैली ने साहित्य आजतक में कहा कि आज भी बढ़िया गीत लिखे जाते हैं, लेकिन आपकी झोली में कौन से गीत आ रहे हैं ये जरूरी है. आज कला और जुबली के गीत बहुत अच्छे हैं. हमारे दोस्तों ने ही लिखे हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि आज अच्छा संगीत तैयार हो रहा है. ये बड़ा क्ली-शेड सा सेंटेंस बन गया है कि आज अच्छा काम नहीं हो रहा है. हमें ध्यान से देखना चाहिए कि कहां अच्छा काम हो रहा है. उसे सुनना चाहिए. शैली ने कहा कि जब मैं गीत सुनता था किसी की हेल्प नहीं लेता था, अपनी समझ से ही कैसेट या सीडी को सुनता था. मुझे लगता है कि श्रोता इतनी मेहनत तो कर ही सकता है कि वो अच्छी चीज सुने.
समाज बदल रहा, लेकिन गाने सेनेटाइज ही क्यों चाहिएः राजशेखर
लिरिसिस्ट राजशेखर ने गानों की भाषा पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसी उम्मीद क्यों की जाती है कि समाज कितना भी बदल जाए लेकिन गानों की भाषा सेनेटाइज ही चाहिए. उन्होंने कहा कि सबसे पहले संसद में सेनेटाइजेशन होनी चाहिए, जिस तरह की भाषा वहां इस्तेमाल की जा रही है. उन्होंने कहा कि मुझसे कहा गया था कि ऐसा लिखो कि सुनकर लोगों को लगे कि इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता.

अच्छा संगीत सुनने के लिए लोगों को भी मेहनत करनी होगीः शैली
क्या गाने रील्स में आने से हिट हो रहे हैं या फ्लेवर खराब हो रहा है, इस सवाल के जवाब में गीतकार शैली ने कहा कि रील्स बन रही हैं तो अच्छा है. क्योंकि इससे पुराने गाने नई पीढ़ी तक पहुंचते हैं. मुझे लगता है कि ये आदमी को खुद होमवर्क करना पड़ेगा कि अच्छा संगीत खुद सुनना होगा. इसे पहुंचाने को डाकिया नहीं आएगा.
कोई गाना सबसे पहले दिल के यू-ट्यूब पर हिट होता है
इस मुद्दे पर कुमार ने कहा कि गाना सबसे पहले दिल के यूट्यूब पर हिट होता है. साथ ही कहा कि रील्स बननी अच्छी बात है, क्योंकि हमारे पास गाना नापने का इंचीटेप है कि गाना कितने मिलियंस सुना गया. अगर कोई गाना रिलीज होने के 6 महीने बाद ट्रेंड होता है, तो समझ लीजिए कि गाने में दम है, तभी ये संभव है.
गाना लिखना बेहद मुश्किल काम है
कुमार ने अपने लिखे गाने 'जो भेजी थी दुआ' का जिक्र करते हुए कहा कि जब ये लिखा था तब हिट नहीं था, जब इस पर काम हो रहा था तब आइडिया नहीं बन रहा था. गाना लिखते समय पहले हुक लाइन पर अच्छा काम नहीं है तो पूरी राइटिंग एक तरफ है. साथ ही कहा कि जब आप गाना लिख रहे हैं और पता हो कि किस पर फिल्माया जाना है तो ये सोचकर लिखते हैं कि ऐसी लाइन नहीं लिखनी है जो एक्टर की पर्सनेलिटी खराब करे. गाना लिखना मुश्किल काम है.
ये गाने बाद में चले...
गीतकार राजशेखऱ ने बताया कि तनु वेड्स मनु का गाना 'घणी बाबरी हो गई' को लेकर कहा गया था कि ये गाना पता नहीं चलेगा भी या नहीं, लेकिन वो बाद में खूब चला. 'कितने दफे' हो या 'ओ रंगरेज मेरे' हो, सभी को लेकर कहा गया था कि ये चल भी पाएंगे.
'गीत अपनी तकदीर लेकर आते हैं'
शैली ने कहा कि गीत अपनी तकदीर लेकर आते हैं, जो गीत हमें खुद पसंद होता है, वह लोगों तक पहुंचता ही नहीं. कई बार ऐसा भी होता है जिस गीत को हम बेमन से लिखते हैं, तो वह हिट हो जाता है. वहीं राजशेखर ने कहा कि पिछले साल एक गाना आया था, जिसके हिट होने की हमें कोई उम्मीद नहीं थी. लेकिन वह धीरे-धीरे पसंद किया जाने लगा और लोगों को उसे काफी प्यार दिया.