scorecardresearch
 

13 साल की उम्र से पढ़ने लगे थे ओशो, वहीं से आई गंभीरता... साहित्य आजतक में बोले अभिनेता राजेश तैलंग

साहित्य आजतक के दूसरे दिन साहित्य तक के मंच पर अभिनेता राजेश मेहमान बनकर आए उन्होंने इस दौरान अपने अभिनय, परिवार और अपनी कविताओं पर बात की.

Advertisement
X
साहित्य आजतक में राजेश तैलंग ने ओसो पर बात की. (Photo:ITG)
साहित्य आजतक में राजेश तैलंग ने ओसो पर बात की. (Photo:ITG)

साहित्य आजतक 2025 के दूसरे दिन कई खूबसूरत कार्यक्रम हुए. शायरी, कविता और किस्सों की बैठकी के बीच स्टेज 3 यानी साहित्य तक मंच पर दर्शकों से अभिनेता राजेश तैलंग रूबरू हुए. राजेश तैलंग ने इस दौरान फिल्मों, और ओटीटी पर काफी बातें की साथ ही अपने काव्य संकलन से कुछ कविताएं भी सुनाई. उनकी कविताओं ने इस सेशन को खास बना दिया.

अभिनेता ने अभिनय की दुनिया और अपने कला प्रेमी परिवार के बीच सामंजस्य की स्थिति का परिचय कुछ इन शब्दों में दिया, उन्होंने कहा, मेरे घर के सदस्य मेरे किसी काम को नहीं देखते हैं, वो बस मुझे टोकते हैं. मेरे घर में सभी कलाकार हैं, तो मुझे उनकी बात सुनी भी पड़ती है और आगे के लिए ध्यान भी रखनी पड़ती है. 

उन्होंने कहा,  बंदिश बैंडिट मैने जब किया तो मेरे पखावज बजाने को लेकर मेरे घर वालों ने मुझे क्रिटिसाइज किया कि उंगलियां गलत थाप दे रही हैं. क्योंकि मेरा परिवार संगीत से जुड़ा है तो वो असल बारीकियां जानते हैं. 

तब सीजन 2 में मैने जब बांसुरी बजाई तो उससे पहले उसे और सीखा , सखी मोरी गीत पर परफॉर्म भी किया. तो ये सब खुद को निखारने का ही काम करते हैं. 

Advertisement

खैर, मै पहले कार्टून भी बनाता था लेकिन परिवार ने खास तौर पर उसे इनकरेज भी नहीं किया, उन्हें लगता था कि अभिनय में मै ज्यादा अच्छा कर सकता हूं तो उसे ही लेकर आगे बढ़े और फिर आज नतीजा आपके सामने हैं.

शिकायतों की फेहरिस्त बनाने बैठा हूं
कागज के बीच एक लकीर बनाई है.

बातों और अभिनय में गंभीरता कैसे आई, इस सवाल पर राजेश तैलंग कहते हैं कि वह 13 साल की उम्र से ओशो को पढ़ने लगे थे. इसका नतीज़ा हुआ कि मैं जलदी ही तर्कशील और उससे भी अधिक विद्रोही हो गया.

एक दिन ऐसा हुआ कि, मुझसे पैर लगकर आंगन में चाय का कप टूट गया, मां ने डांटा कि क्यों तोड़ा, तो मैने एक और कप उठाया और गिरा दिया, फिर बोला कि तोड़ना इसे कहते हैं, वो टूट गया था.

मां ने मेरी खूब जमके पिटाई की. लेकिन मैने जो उस दिन किया वो असल में मेरे स्वभाव में आ रही गंभीरता और विद्रोह ही था जो मुझे ओशो को पढ़ने से मिला.

ओशो ने मुझे तर्क दिए और जीवन को समझने का नजरिया दिया.  वह कहते हैं  ओशो के अलावा मेरे पसंदीदा लेखक ग़ालिब, जोक, मीर, हरिवंश राय बच्चन, मनोहर श्याम जोशी, हरीशंकर परसाई रहे हैं.

Advertisement

ओटीटी पर गाली की मौजूदगी पर क्या बोले ?

ओटीटी पर गाली को लेकर राजेश तैलंग ने कहा कि टीवी, फिल्म और वेबसीरीज तीनों का फॉर्मेट अलग है. टीवी फैमिली के लिए है, फिल्म समाज के लिए है और ओटीटी सोलो के लिए है. इसलिए भाषा का चयन और सेंसरशिप तीनों के फॉर्मेट के हिसाब से अलग अलग है और इसे इसी तरह समझना चाहिए.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement