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राम सिर्फ हिंदुओं के नहीं, सबके हैं... साहित्य आजतक में बोले कुमार विश्वास

Sahitya Aajtak: दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में साहित्य आजतक के दूसरे दिन की शुरुआत कवि, लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर कुमार विश्वास ने की. उन्होंने राम कथा सुनाते हुए कार्यक्रम का आगाज किया. इस दौरान उन्होंने युवाओं से राम को अपने जीवन में ढालने और राम पथ पर चलने का भी आग्रह किया.

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लेखक, कवि और मोटिवेशनल स्पीकर डॉक्टर कुमार विश्वास (Photo: ITG)
लेखक, कवि और मोटिवेशनल स्पीकर डॉक्टर कुमार विश्वास (Photo: ITG)

Sahitya Aajtak: देश की राजधानी दिल्ली में साहित्य के सितारों का महाकुंभ यानी साहित्य आजतक 2025 जारी है. आज कार्यक्रम का दूसरा दिन है. यह कार्यक्रम तीन दिनों तक चलेगा जिसमें कला, साहित्य और संगीत के क्षेत्र की शख्सियतें शामिल हो रही हैं. इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हो रहा है जहां दर्शकों को तीन दिन तक अलग-अलग विधाओं के दिग्गजों से रूबरू होने का मौका मिलेगा.

राम हिंदुओं के नहीं सबके हैं
साहित्य आजतक 2025 की शुरुआत 'अपने अपने राम' में कवि, लेखक और मोटिवेशनल स्पीकर कुमार विश्वास ने रामकथा सुनाते हुए की. उन्होंने इस दौरान कहा कि लोग राम केवल हिंदुओं के नहीं हैं, राम सभी के हैं. यह हमें कुछ लोगों ने सिखाया है कि राम केवल हिंदुओं के हैं.

राम से भी सवाल किया गया

कुमार विश्वास ने रामायण से जुड़ा एक प्रसंग सुनाते हुए कहा, 'हमारा देवता यानी राम भी प्रश्नों से बाहर नहीं है. जब लक्ष्मण बेहोश हो गए थे और राम की गोद में पड़े थे तो विभीषण ने रावण के सबसे बड़े वैध को उनका इलाज करने के लिए बुलाया.'

'इस पर उस वैध ने राम से सवाल किया था कि मैं रावण का वैध हूं और आप रावण के शत्रु हैं, आपका साथ देने का मतलब है कि मुझे अधर्म करना होगा और आप तो धर्म की रक्षा करने वाले हैं तो आप मुझे कैसे ये अधर्म करने के लिए कह सकते हैं, इस पर श्री राम ने उत्तर दिया था, निसंदेह धर्म ही सबसे ऊपर है और धर्म की रक्षा के लिए अगर मुझे मेरे लक्ष्मण को खोना पड़े तो मैं तैयार हूं.'

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राम ने सिखाया हमेशा विनम्र रहें

इसी संदर्भ में कुमार विश्वास कहते हैं, 'उस वक्त जब वैध ने राम से सवाल किया तो उनके आसपास राम भक्त और सेना खड़ी थी लेकिन किसी ने वैध से नहीं कहा कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई राम से सवाल करने की. ऐसा किसी ने नहीं कहा कि तेरे सिर तन से जुदा कर दूंगा. राम से सवाल किया है तो जवाब भी वही देंगे.'

'राम से हमें शिक्षा मिलती है कि अपने अंदर लचीलापन बचाकर रखो. कट्टर मत बनो. कट्टर लोग पूरी दुनिया में परेशान हैं. कट्टर तो पड़ोसी मुल्क में हैं. मगरूर आंधी दरखतों को पटक जाएगी वही शाख बचेगी जो लचक जाएगी. वो ऐसे हैं तो तुम वो क्यों कट्टर बन रहे हो. हम भी फतवे देने लगें तो हममें उनमें क्या फर्क है.'

कुमार विश्वास बताते हैं, 'गोद में जब कोई छोटा बच्चा होता है तो वो कई बार थप्पड़ मार देता है लेकिन हम उसे पलट कर नहीं मारते. जो खुद 1400-1500 साल पहले आए हैं वो कुछ भी करें. आप क्यों उनसे तुलना कर रहे हैं. आपकी संस्कृति तो एक लाख साल से मनुष्यता सिखा रही है इसलिए आपका कुछ करना नहीं बनता है.'

धर्म और संस्कृति युवाओं के लिए ज्यादा जरूरी

कवि और लेखक कुमार विश्वास ने कहा कि यहां साहित्य आजतक में 100 में 80 युवा बैठे हैं. बहुत अच्छी बात है. ये बहुत जरूरी है. क्योंकि आपके पास समय है कि अपनी संस्कृति को जीवन में उतारने का. हमारे यहां सिखाया जाता है कि धर्म केवल बुजुर्ग लोगों के लिए है. ऐसा नहीं होना चाहिए. युवाओं के लिए आध्यात्म को अपने जीवन में ढालना जरूरी है. 

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कर्म ही सबसे बड़ा चमत्कार

कुमार विश्वास आगे कहते हैं, 'आजकल छोटे-मोटे बाबा के पास जाकर लोग चमत्कार की उम्मीद करते हैं. जिसके प्रकाश से विश्व चलता है, उनके जीवन में एक भी चमत्कार नहीं हुआ. राम की पत्नी का अपहरण हुआ, वो पराजित हुए. उन्होंने जामवंत से कहा कि मैं कैसे रावण को पराजित करूं उसे तो देवी गोद में लेकर लड़ रही हैं. इस पर उनसे कहा गया कि आप भी पूजा से उत्तर दो. उन्होंने नीलकमल से पूजा की और फिर नीलकमल को माता उठाकर ले गईं. वो स्वंय ईश्वर थे लेकिन उनका जीवन सामान्य था.'

वो इस कथन को समझाते हुए बताया, 'राम के जीवन में भी मोह, कष्ट, दुख सब है. यही हमारे जीवन में भी है. बस उनके जीवन में लालच नहीं है. अपनी महत्वकांक्षा अनंत रखो और लालच शून्य रखो. लेकिन हमारे साथ दिक्कत है कि लालच अनंत है और महत्वकांक्षा शून्य है. इसलिए रामकथा को सुनें. ये सभी समस्याओं का इम्युनिटी बूस्टर है.' 

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