कोरोना वायरस की त्रासदी में पहली बार इंडिया टुडे ई-कॉन्क्लेव का आयोजन कर रहा है. पूरा देश लॉकडाउन में है और लोगों के मन में कोरोना वायरस को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं. इंडिया टुडे ई-कॉन्क्लेव में देश के जाने-माने डॉक्टर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स इस मुश्किल घड़ी से निपटने में आपकी मदद करेंगे. इंडिया टुडे के पहले एपिसोड में कोरोना वायरस महामारी में बच्चों की सेहत को लेकर चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट डॉ. शैलजा सेन ने तमाम सवालों के जवाब दिए.
बच्चों में मानसिक समस्या का खतरा
कोरोना वायरस महामारी के संकट में लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं. अचानक ही लोगों को अपनी दिनचर्या में तमाम बदलावों को अपनाने पर मजबूर होना पड़ रहा है. लेकिन सबसे बड़ी मुश्किल बच्चों के लिए है. स्कूल बंद होने की वजह से ना तो वे अपने दोस्तों से मिल पा रहे हैं और ना ही पार्क में खेलने जा पा रहे हैं. घर में लगातार बंद रहने की वजह से 7-10 साल की उम्र के छोटे बच्चों में कई तरह की मानसिक समस्याएं पैदा होने का खतरा भी पैदा हो गया है.
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बच्चों को सुरक्षित महसूस कराएं
डॉ. शैलजा ने बताया कि कई बार पैरेंट्स बच्चों की मुश्किलों को नजरअंदाज कर देते हैं. पैरेंट्स के पास खुद की कई समस्याएं होती हैं. उन्हें लगता है कि बच्चों को स्कूल नहीं जाना है और पढ़ाई भी नहीं करनी है तो उनके बच्चों को कोई परेशानी नहीं है. हालांकि, पैरेंट्स को ये बात ध्यान में रखनी चाहिए कि बच्चे घर और आस-पास हो रहे हर बदलाव को लेकर बेहद संवेदनशील होते हैं. ऐसे में बच्चों को सुरक्षित महसूस कराने के लिए उनसे बातचीत करनी चाहिए.
बच्चों के व्यवहार पर रखें नजर
अगर बच्चे ट्रॉमा से गुजर रहे हैं तो इसके क्या संकेत हो सकते हैं? डॉ. सेन ने बताया कि ये जानने के लिए आपको देखना होगा कि क्या आपका बच्चा पहले की ही तरह डाइट ले रहा है, क्या वो पूरी नींद ले रहा है. आपको देखना होगा कि क्या आपके बच्चे के व्यवहार में किसी तरह का बदलाव तो नहीं आ रहा है.
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घर में कैसे रखें बच्चों का ख्याल
1. बच्चों के बेसिक रूटीन का खास ख्याल रखें. उन्हें यह महसूस न होने दें जैसे घर में रहना उनके लिए किसी कैद जैसा हो गया है.
2. स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए टीचर्स से मिलना मुश्किल हो गया है. उनके दोस्त भी उनसे दूर हो गए हैं. लॉकडाउन के दौरान हर पैरेंट्स अपने बच्चों का टीचर और एक अच्छा दोस्त बनने का संकल्प लेना चाहिए.
3. बच्चों के कुछ खिलौने कमरे में रखें और कुछ अलमारी में बंद करके रखें. अगले दिन अलमारी से कुछ नए खिलौने उन्हें दें और कुछ संभलकर वापस अलमारी में रख दें. नई चीजें सामने होने से बच्चे कभी बोर नहीं होंगे.
4. बच्चों को पेंटिंग करने के लिए कहें और इस वक्त में वो क्या महसूस करते हैं इससे जुड़ी चीजें ड्रॉ करने को कहें.