स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कोई भी व्यक्ति अपने हम उम्र के साथ ही पढ़ाई करता है या खेलता है. ऐसी बात नहीं है कि सबकी उम्र एकदम बराबर होती है लेकिन सभी की उम्र एक दूसरे के आसपास होती है. इससे आपसी विचारधारा का मेल आसानी से होता है. लेकिन जब पढ़ाई के बाद इंसान ऑफिस पहुंचता है तो वहां हर उम्र के लोगों के साथ उसे काम करना पड़ता है. खासतौर पर कई बार वरिष्ठ सहकर्मियों के साथ तालमेल बैठाना एक चुनौतीपूर्ण काम हो सकता है.
बांग्लादेश की राजधानी ढाका की एक निजी कंपनी में कार्यरत नायला कहती हैं कि, उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी अपने सहकर्मियों के साथ तालमेल बैठाना. नायला कहती हैं कि पहले उन्हें अपने से सीनियर लोगों की बातों को समझने में दिक्कतें होती थीं. यही वजह है कि नायला सबसे बीच में होकर भी अकेलापन महसूस करती थीं.
नायला कहती हैं कि, "मुझे लगता था कि मैं अपने सहकर्मियों की बातों से जुड़ नहीं पा रही हूं." इस परेशानी का हल निकालने के लिए नायला ने अपने सहकर्मियों के साथ ज्यादा समय और बातचीत करने की कोशिश की. नायला ने उन लोगों के साथ लंच करना और कॉफी पीना शुरू किया और इस तरह वह उन लोगों के साथ जुड़ने लगीं.
अब यह सिर्फ नायला की ही नहीं बल्कि बड़ी तादाद में उन लोगों की भी कहानी है जो जनरेशन गैप की वजह से अपने ऑफिस में अन्य सहकर्मियों के साथ फिट नहीं हो पा रहे हैं.
आसान नहीं है उम्र के अंतर को पाटना, बस ऐसे करें काम
नए ऑफिस में एडजस्ट करते समय कम्युनिकेशन और समझ की कमी बड़ी परेशानी पैदा कर सकती है. अक्सर, मैनेजर रैंक के कई अधिकारी अपने टीम के लोगों से जरूरी बातें नहीं बताते हैं या ऐसा करना भूल जाते हैं. इससे टीम और उन मैनेजर्स के बीच पारदर्शिता की कमी पैदा होती है. जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए.
वहीं हुसैन नाम के एक युवा आर्किटेक्ट कहते हैं कि, युवाओं के लिए सीनियर्स के साथ काम करना चुनौतीपूर्ण तो है लेकिन इसके कई फायदे भी हैं. वरिष्ठ सहकर्मियों के साथ काम करने से आपको नए कौशल सीखने का अवसर मिल सकता है. शुरुआत में उम्र या जनरेशन का अंतर होने की वजह से हो सकता है कि एडजस्ट होने में समय लगे, लेकिन समय के साथ चीजें अपने आप ठीक हो जाती हैं. अगर आप उन लोगों के साथ जुड़कर रहेंगे तो खुद भी हैरान हो जाएंगे कि आपको कितना ज्यादा सीखने को मिला है.
वहीं एक मार्केटिंग प्रोफेशनल युनूस कहते हैं कि, कई बार सीनियर्स आपके नए आइडिया को लेकर कठोर नजर आते हैं. अधिकतर सीनियर्स को अपने जूनियर्स से खूब सम्मान मिलता है लेकिन उसके बदले में वह ऐसा नहीं कर पाते हैं. वह आगे कहते हैं कि यह जानना बहुत जरूरी है कि सहकर्मियों के बीच अंतर होने का कारण उम्र ही है या कुछ और भी हो सकता है.
जनरेशन गैप होने के बाद भी अगर सीनियर्स और जूनियर्स एक दूसरे का सम्मान करते हैं और बिना किसी झिझक से एक दूसरे से बात करते हैं, ऐसी जगहों पर सकारात्मक माहौल बनता है जिसका फायदा सभी को मिलता है.