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MNS कार्यकर्ताओं के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे सुनील शुक्ला, जानिए क्या है मामला

उत्तर भारती विकास सेना के प्रमुख सुनील शुक्ला ने अपने साथ हुई हिंसक घटना में कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुनील ने अब सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है और बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है.

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Bombay High Court (File Photo: ITG)
Bombay High Court (File Photo: ITG)

उत्तर भारतीय विकास सेना के प्रमुख सुनील शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि हिंसक घटना के साथ ही उनको जान से मारने की धमकी देने और उत्पीड़न करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किए जाएं.

सुनील शुक्ला ने महाराष्ट्र सरकार और पुलिस से बार-बार अनुरोध के बावजूद कोई जवाब नहीं मिलने की बात कही है और सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उत्तर भारतीय विकास सेना के प्रमुख की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि उत्तर भारतीयों के अधिकारों की वकालत करने के कारण एमएनएस ने उनको निशाना बनाया, धमकियां दीं और उत्पीड़न किया.

याचिकाकर्ता ने 6 अक्टूबर की शाम करीब 3 बजे की घटना का उल्लेख करते हुए कहा है कि एमएनएस और उससे संबंधित संगठनों से जुड़े 30 लोगों का समूह उनकी पार्टी के कार्यालय में घुस आया और तोड़फोड़ की. सुनील शुक्ला ने अपनी याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि इस घटना के बाद उन्हें और उनके परिवार को कई बार एमएनएस नेताओं-कार्यकर्ताओं की धमकी भरी फोन कॉल्स आईं.

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उन्होंने एमएनएस कार्यकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए 10 महीने पहले शिकायत देने की बात कही है और यह भी बताया है कि वह लगातार पुलिस से संपर्क कर रहे हैं. दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिसकी वजह से उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया.

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गौरतलब है कि सुनील शुक्ला ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट जाने की सलाह दी थी, जिसके बाद शुक्ला ने अब बॉम्बे हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर की है. सुनील शुक्ला की ओर से दायर एसएलपी सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच में लगी थी.

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सीजेआई की बेंच ने शुक्ला से पूछा था कि हाईकोर्ट क्यों नहीं गए. सीजेआई ने याचिकाकर्ता से पूछा था कि क्या बॉम्बे हाईकोर्ट में अवकाश है? सीजेआई की इस टिप्पणी के बाद सुनील शुक्ला के वकील ने याचिका वापस लेने और बॉम्बे हाईकोर्ट जाने का निर्णय लिया था. सीजेआई की बेंच ने इस मामले में कोई राय व्यक्त किए बिना याचिका वापस लेने, बॉम्बे हाईकोर्ट जाने की अनुमति दे दी थी.
 

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