scorecardresearch
 
Advertisement

नवदीप सूरी से जानें 'खूनी बैसाखी' की कहानी!

नवदीप सूरी से जानें 'खूनी बैसाखी' की कहानी!

जिस दिन जलियांवाला बाग की घटना हुई थी उस वक्त 22 वर्षीय नानक सिंह वहीं मौजूद थे. वहां के दर्दनाक अनुभवों पर नानक सिंह ने खूनी बैसाखी नाम से एक लंबी कविता लिखी थी, जिसे अंग्रेजों ने बैन कर दिया था. अब 100 साल बाद नानक सिंह के पोते एवं राजनयिक नवदीप सूरी ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद किया है. इसी सिलसिले में आजतक की संवाददाता गीता मोहन ने नानक सिंह के ग्रैंडसन और राजनयिक नवदीप सूरी से की खास बातचीत. देखें वीडियो.

Advertisement
Advertisement