पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मिट्टी के बर्तन बनाने वाले समुदाय (कुम्हार) दीपावली समेत आने वाले त्योहार के मौसम में 'सिर्फ स्वदेशी' उत्पादों के साथ देश में एक नई मिसाल बनाने के लिए तैयार हैं.
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने वाराणसी में आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत इन समुदायों को मिट्टी के दीयों, देवी/देवताओं की मूर्तियों और मिट्टी के अन्य बर्तनों को बनाने का प्रशिक्षण दे रहा है.
देश-दुनिया के किस हिस्से में कितना है कोरोना का कहर? यहां क्लिक कर देखें
केवीआईसी ने कल चार गांवों- इटहराडीह, अहरौराडीह, अर्जुनपुर और चक सह जंगीगंज के मिट्टी के बर्तन बनाने वाले समुदायों से जुड़े 80 परिवारों को बिजली से चलने वाले पहिए (पॉटर व्हील) बांटे.
कोरोना पर फुल कवरेज के लिए यहां क्लिक करें
इनमें से हरेक गांव में लगभग 150 से 200 कुछ ऐसे परिवार रहते हैं जो कई पीढ़ियों से मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं. हालांकि, हाथ से संचालित किए जाने वाले चाकों की पुरानी तकनीकों, हाथों-औजारों से मिट्टी तैयार करने और बाजार/मांग की कमी के कारण ये लोग अपना पुश्तैनी काम छोड़कर दूसरे विकल्प तलाशने के लिए मजबूर थे.
स्वदेशी दियों से घरों को जगमगाएं
केवीआईसी ने अगले 3 महीनों के दौरान वाराणसी में 1500 बिजली से चलने वाले पहियों (पॉटर व्हील) बांटने का टार्गेट रखा है. इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रवासी श्रमिकों के लिए स्थानीय रोजगार का निर्माण करना है ताकि उन्हें आजीविका की तलाश में अन्य शहरों में जाने की आवश्यकता न पड़े.
कोरोना कमांडोज़ का हौसला बढ़ाएं और उन्हें शुक्रिया कहें...
वाराणसी के इन गांवों में ये समुदाय विशेष रूप से दशहरा और दीपावली के आगामी त्योहारों को ध्यान में रखते हुए मिट्टी के मैजिक लैंप, पारंपरिक दीपक (दीया) और लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां बना रहे हैं.
एक मकसद ये भी है कि दीपावली और दूसरे त्योहारों के मौसम में लोग चीनी लाइट और अन्य सामान के बजाए लोकल और स्वदेशी सामान खरीदें. चाइनीज लड़ी और चाइनीज दीयों की बजाए स्वदेशी दीयों से घरों को जगमगाएं.