सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को भाजपा नेता वरुण गांधी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को वापस लेने का निर्देश दिया. वरुण पर कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के मामले में इस अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे.
प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, 'राज्य सरकार वरुण गांधी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत आदेश को वापस ले.' शीर्ष अदालत ने यह निर्देश जारी करने के साथ ही वरुण गांधी द्वारा दायर याचिका का निपटारा कर दिया, जिसमें रासुका लगाए जाने और यहां तक कि इसे हटाए जाने के लिए राज्य सलाहकार बोर्ड की सिफारिश को भी दरकिनार कर दिए जाने को चुनौती दी गई थी.
पीठ में न्यायमूर्ति पी सथासिवम और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा भी शामिल थे. पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को रासुका हटाने का निर्देश देने के साथ ही यह आदेश भी दिया कि वरुण के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी दूसरी याचिका को लेकर जोर न डालें, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार से 10 लाख रुपये का मुआवजा दिलाने का आग्रह किया गया है.
पीठ ने राज्य सलाहकार बोर्ड के फैसले के खिलाफ आवेदन दायर करने के उत्तर प्रदेश सरकार के नजरिए की भी आलोचना की. बोर्ड ने 29 वर्षीय वरुण के खिलाफ रासुका लगाए जाने का कोई पर्याप्त आधार नहीं पाया था. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को इस जवाब के लिए भी झिड़की लगाई कि पीलीभीत के जिला मजिस्ट्रेट को नहीं सुना गया और सुनवाई के दौरान सलाहकार बोर्ड के सामने सिर्फ अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट ही मौजूद थे.
पीठ ने कहा, 'सलाहकार बोर्ड के फैसले को चुनौती देने का यह कोई आधार नहीं हो सकता. अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट मौजूद था तो उसे जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जरूर दिशा निर्देशित किया गया होगा.' अदालत ने पूछा कि अधिकारी मौजूद क्यों नहीं था.