पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद वरिष्ठ पार्टी नेता आनंद शर्मा ने केंद्र सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाया है. उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर को निशाने पर लिया और कहा कि बयानबाजी और ट्वीट करने से जमीनी हकीकत नहीं बदल जाती है. विदेश नीति पर सवालों के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने शुक्रवार को सिलेसिलेवार ट्वीट के जरिए राहुल गांधी को जवाब दिया था.
आनंद शर्मा ने ट्वीट किया, 'विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर दिशाहीन विदेश नीति का बचाव कर रहे हैं. बयानबाजी और ट्वीट जमीनी हकीकत नहीं बदलते. पड़ोसी पहले भारत की विदेश नीति की प्राथमिकता रहे हैं, लेकिन मौजूदा दृष्टिकोण दुखी करने वाला है.'
Amused by Foreign Minister @DrSJaishankar's defence of a directionless foreign policy. Rhetoric and tweets do not change ground reality. Neighbourhood first has been a priority of India's foreign policy but sadly derailed by a cavalier approach. (1/6)
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) July 19, 2020
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक रूप से विश्वास, मित्रता और पारस्परिक सम्मान के आधार पर एक साझा रिश्ता रहा है. नेपाल के साथ मौजूदा तनाव की स्थिति चिंताजनक है. विदेश मंत्री इससे इनकार नहीं कर सकते हैं, लेकिन उन्हें इन विफलताओं पर जवाब देना चाहिए.
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राहुल गांधी को दिए विदेशी मंत्री के एक जवाब पर आनंद शर्मा ने कहा कि विदेश मंत्री का मुंबई आतंकी हमले को संदर्भ के तौर पर इस्तेमाल करना बातचीत के दायरे से बाहर है. भारत के राजदूत और वरिष्ठ राजनयिक के रूप में उन्हें भारत की स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए.
आनंद शर्मा ने राहुल गांधी को विदेश मंत्री की तरफ से दिए गए जवाब की ओर इशारा करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने और पाकिस्तान को अलग-थलग करने के लिए भारत की प्रतिक्रिया मजबूत थी. लेकिन बालाकोट, उरी और भारतीय सशस्त्र बलों की हर बहादुर कार्रवाई का उपयोग क्यों करें? यह प्रोपेगेंडा होगा. हर भारतीय को उन पर गर्व है.
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आनंद शर्मा ने विदेश मंत्री से कहा कि क्या मुझे यह याद दिलाना होगा कि भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना मई 2014 से पहले भी मौजूद थे और उनकी वीरता और शौर्य का विश्व स्तर पर सम्मान था. सेना राष्ट्र की होती है और तिरंगे के नीचे लड़ती है. राष्ट्रहित में सलाह दीजिए. हमारे रक्षा बलों का राजनीतिकरण या एकाधिकार न करें.
Foreign policy must have gravitas and depth. Engagements with strategic partners demand seriousness and cannot be trivialised and reduced to event management.
You may create illusions by your optics, but history will judge you by outcomes. (6/6)
— Anand Sharma (@AnandSharmaINC) July 19, 2020
आनंद शर्मा ने कहा कि विदेश नीति में ग्रेविटी और गहराई होनी चाहिए. रणनीतिक साझेदारों के साथ रिश्ते गंभीरता की मांग करते हैं. इसे कमतर न समझें. आप अभी भले ही भ्रमित कर लें लेकिन इतिहास आपका मूल्यांकन करेगा.