देश कई राज्यों में एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के फैसले का हिंसक विरोध हो रहा है. विपक्षी दल इस विरोध प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन हिंसा फैलाने की बजाए शांतिपूर्ण प्रदर्शन की भी अपील कर रहे हैं. वहीं केंद्र की ओर से कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा चुकी है, इसीलिए शांति बनाई रखी जाए. इसी बीच बिहार में आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि अगर दलित सड़कों पर नहीं आते, तो केंद्र कुछ नहीं करती.
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ दलितों के आंदोलन पर कहा कि अगर लोग सड़कों पर नहीं उतरते तो केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं करती. शिवानंद तिवारी ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट की ओर से एससी/एसटी एक्ट में बदलाव का फैसला किया गया था, तो केंद्र सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगा था.
तिवारी ने कहा, 'केंद्र सरकार चुपचाप बैठी हुई थी, लेकिन दलित समाज की ओर से दबाव बना, तब सरकार जगी. ये जरूरी था कि दलित समाज के लोग सड़क पर आकर आवाज लगा रहे हैं कि इस संशोधन को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे. हजारों साल से दलितों को छूने पर भी पाप लगता था, आप कुत्तों को छू सकते थे, लेकिन दलित समाज के आदमी को नहीं.'
गुजरात में दलित युवक की हत्या का जिक्र करते हुए RJD नेता ने कहा, 'आज भी वही हालात हैं, कुछ दिन पहले ही पीएम मोदी के गुजरात में घोड़े पर चढ़ने के आरोप में एक दलित की हत्या कर दी गई और घोड़े को भी मार दिया गया. भीम सेना के चंद्रशेखर को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट में बंद किया गया. रोहित वेमुला को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया गया.' शिवानंद तिवारी के मुताबिक कोई भी कानून बने, उसका दुरुपयोग होता है. जैसे शराबबंदी कानून है, जिसका दुरुपयोग हो रहा है.