पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए नामित किया है. गोगोई के राज्यसभा भेजे जाने के फैसले पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. वहीं अब रंजन गोगोई के राज्यसभा सदस्य के शपथ ग्रहण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.
समाजसेवी मधु किश्वर ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इसको लेकर उन्होंने याचिका भी दाखिल की है. उन्होंने रंजन गोगोई के राज्यसभा सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है.
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अपनी याचिका में किश्वर ने रिटायरमेंट के बाद जजों के किसी पद को स्वीकार करने और कूलिंग ऑफ पीरियड तय करने को लेकर गाइडलाइन तैयार करने की मांग की है. वहीं रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित करने के फैसले पर विपक्ष भी हमलावर है.
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गोगोई अब न्यायपालिका के बाद विधायिका में नई पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. वहीं पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा है कि वे शपथ ग्रहण के बाद बताएंगे कि उन्होंने राज्यसभा जाने का प्रस्ताव क्यों स्वीकार किया.
प्रेस कॉन्फ्रेंस से आए चर्चा में
सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार 12 जनवरी 2018 को रंजन गोगोई सहित सर्वोच्च न्यायालय के चार जजों ने संयुक्त रूप से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के तौर-तरीकों को लेकर सार्वजनिक तौर पर सवाल खड़े किए थे. यहीं से जस्टिस रंजन गोगोई चर्चा में आए थे और सुप्रीम के मुख्य न्यायाधीश रहते हुए राम मंदिर से लेकर आरटीआई सहित तमाम मामलों में ऐतिहासिक फैसले दिए.