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जम्मू-कश्मीर में जारी रहेगा प्रीपेड मोबाइल सेवा पर प्रतिबंध: केंद्र

केंद्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि जम्मू-कश्मीर में प्रीपेड मोबाइल सेवा पर प्रतिबंध जारी रहेगा क्योंकि उसने सुरक्षा कारणों से इसे नहीं हटाने का फैसला लिया है. सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ को बताया ‘‘हम प्रतिबंध को नहीं हटा सकते. प्रीपेड मोबाइल सेवा पर सुरक्षा कारणों से रोक लगाई गई है.’’

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केंद्र ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि जम्मू-कश्मीर में प्रीपेड मोबाइल सेवा पर प्रतिबंध जारी रहेगा क्योंकि उसने सुरक्षा कारणों से इसे नहीं हटाने का फैसला लिया है. सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम ने प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ को बताया ‘‘हम प्रतिबंध को नहीं हटा सकते. प्रीपेड मोबाइल सेवा पर सुरक्षा कारणों से रोक लगाई गई है.’’

उन्होंने संचार विभाग की ओर से 11 पृष्ठ का हलफनामा दायर किया और जम्मू-कश्मीर में प्रीपेड मोबाइल सेवा पर रोक लगाए जाने के कारणों का ब्यौरा दिया. इसके बाद पीठ ने याचिकाकर्ता से जवाब दायर करने को कहा और सुनवाई 25 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी.

जम्मू-कश्मीर पैंथर्स पार्टी ने राज्य में प्रीपेड मोबाइल सेवा पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले को चुनौती दी थी और कहा था कि यदि केंद्र की यही चिंता है तो फिर पोस्ट पेड कनेक्शनों के लिए की गई बहुत सी योजनाओं पर भी रोक लगा देनी चाहिए. हालांकि पैंथर्स पार्टी के नेता भीम सिंह के इस तर्क पर पीठ ने कुछ नहीं कहा जो पार्टी के वकील के रूप में पेश हुए.

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा ‘‘प्रीपेड मोबाइल सेवा पर रोक लगाए जाने का फैसला यूनीफाइड एक्सेस सर्विस (यूएएस) तथा सेलुलर मोबाइल टेलीकाम सर्विस (सीएमटीएस) लाइसेंस के तहत ‘‘राष्ट्रीय हित’’ में लिया गया है क्योंकि आतंकवादी और उनसे जुड़े लोग इस सेवा का दुरुपयोग कर रहे थे.’’ केंद्र ने कहा कि उसे यह पता चला कि आतंकवादी पोस्ट पेड कनेक्शन की तुलना में प्रीपेड मोबाइल कनेक्शनों का बड़ी संख्या में इस्तेमाल कर रहे हैं.

उसने हलफनामे में कहा कि यह भी प्रकाश में आया है कि भारतीय सेवा प्रदाताओं के प्रीपेड मोबाइल कनेक्शनों को आतंकवादी भारत से बाहर ले जाते हैं और फिर ये तत्व इनका इस्तेमाल राष्ट्रहित के खिलाफ करते हैं. केंद्र ने कहा कि प्रीपेड कनेक्शन के दुरुपयोग की बात सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक ही सीमित नहीं बल्कि सितंबर 2008 में राष्ट्रीय राजधानी में सिलसिलेवार बम धमाके करने वाले आतंकवादियों ने भी ऐसे ही कनेक्शनों का इस्तेमाल किया था. उनके द्वारा प्रयोग किए गए 13 कनेक्शनों में से 10 प्रीपेड कनेक्शन थे.

उसने कहा कि हालांकि जम्मू-कश्मीर की संवेदनशीलता और इससे जुड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता के चलते ‘‘राज्य में विशेष कदम उठाए जाने की जरूरत महसूस हुई जहां बड़ी संख्या में आतंकवादियों और उनसे जुड़े लोगों द्वारा बड़ी संख्या में ऐसे कनेक्शनों का दुरुपयोग किए जाने की खबरें थीं.’’ हलफनामे में कहा गया ‘‘इसलिए सरकार के विचार से नए प्रीपेड कनेक्शन जारी करने और इन कनेक्शनों को रीचार्ज किए जाने की सुविधा पर रोक लगाया जाना एकमात्र विकल्प था.’’

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