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इंटरनेशनल नर्स डे: पीएम बोले- दुनिया को सेहतमंद रखने में नर्सों का सेवा भाव अद्भुत

12 मई को दुनिया भर में फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर नर्सिंग दिवस मनाया जाता है. इसी दिन 1820 ईस्वी में फ्लोरेंस नाइटिंगेल का एक ब्रिटिश परिवार में जन्म हुआ था. फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने दुनिया में नर्सिंग परंपरा की शुरुआत की, जहां सेवा की भावना से प्रभावित महिलाएं और पुरुष बीमारी और संकट से कराह रही मानवता की मदद करते हैं.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो- पीटीआई)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. (फोटो- पीटीआई)

  • नर्सों को पीएम मोदी ने भी दीं शुभकामनाएं
  • कोरोना को हराने में नर्सों का काम है बेजोड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटरनेशनल नर्स डे पर देश और दुनिया भर के नर्सों को शुभकामनाएं दी हैं और कहा है कि आज का दिन उनके बेमिसाल काम के प्रति आभार जताने का दिन है. पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि कोरोना संकट के काल में नर्सें बेजोड़ काम कर रही हैं और हम उनके और उनके परिवार के प्रति कृतज्ञता जताते हैं.

नर्सों के प्रति पीएम ने जताया आभार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, "इंटरनेशनल नर्स डे अभूतपूर्व काम कर रही नर्सों के प्रति आभार जताने का मौका है, ये हमारी दुनिया को तंदुरुस्त रखने के लिए लगातार काम करती रहती हैं. मौजूदा समय में ये कोरोना वायरस हराने में बेजोड़ काम कर रही है, हम इनके और इनके परिवार के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं."

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एक दूसरे ट्वीट में कहा कि फ्लोरेंस नाइटिंगेल से प्रेरणा पाकर काम करने वाली हमारी परिश्रमी नर्सें करुणा का अवतार हैं, आज हम संकल्प फिर से दोहराते हैं कि हम नर्सों के कल्याण के लिए काम करते रहेंगे और इस क्षेत्र में मौजूद अवसरों की ओर ज्यादा ध्यान देंगे ताकि दुनिया में सेवा करने वालों की कमी न हो.

फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर नर्सिंग दिवस

बता दें कि 12 मई को दुनिया भर में फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर नर्सिंग दिवस मनाया जाता है. इसी दिन 1820 ईस्वी में फ्लोरेंस नाइटिंगेल का एक ब्रिटिश परिवार में जन्म हुआ था. फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने दुनिया में नर्सिंग परंपरा की शुरुआत की, जहां सेवा की भावना से प्रभावित महिलाएं और पुरुष बीमारी और संकट से कराह रही मानवता की मदद करते हैं.

'लेडी विद द लैंप' के नाम से विख्यात

फ्लोरेंस नाइटिंगेल ने क्रीमिया के युद्ध के दौरान अहम भूमिका निभाई थी. उन्होंने कई महिलाओं को नर्सिंग की ट्रेनिंग तो दी ही दूसरी ओर घायल सैनिकों का इलाज भी किया. उनके सेवा भाव के लिए उन्हें 'लेडी विद द लैंप' के नाम से भी जाना जाता है.

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