scorecardresearch
 

यशवंत सिन्हा ने मोदी पर लिखी किताब, कहा- वो हर रोज इतिहास रचने की धुन में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लिखी किताब में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने उन पर जमकर कटाक्ष किए हैं और कई जगह सीधे हमला बोला है. सिन्हा ने कहा कि पीएम मोदी हर रोज इतिहास रचने की धुन में हैं और अगर वह टिम्बकटू का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो वह ऐसा जरूर करेंगे चाहे उनका दौरा जरूरी और सार्थक हो या नहीं.

Advertisement
X
यशवंत सिन्हा (तस्वीर- PTI)
यशवंत सिन्हा (तस्वीर- PTI)

पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर रोज इतिहास रचने की धुन में हैं और अगर वह टिम्बकटू का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो वह ऐसा जरूर करेंगे चाहे उनका दौरा जरूरी और सार्थक हो या नहीं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व नेता ने अपनी पुस्तक 'इंडिया अनमेड : हॉउ मोदी गवर्मेंट ब्रोक द इकनॉमी' में बीते साढ़े 4 साल में मोदी और उनकी सरकार पर एक सदमा देने वाले अध्याय में कहा है कि एक चीज है जो उन्होंने की लेकिन दूसरे प्रधानमंत्रियों ने नहीं की.

सिन्हा ने कहा कि उन्होंने (पीएम मोदी) अधिकतर पिछले कार्यक्रमों को अपने दायरे में लिया और उनका नाम बदल दिया, जिससे सारा श्रेय और गौरव उनके साथ जुड़ गया. भाजपा नीत सरकार के आलोचक सिन्हा ने यह पुस्तक उन सभी को समर्पित की है, जो सच के साथ आगे आने से डरते नहीं हैं. उन्होंने कहा, "मोदी एक ऐसे इंसान हैं, जो सभी चीजें खुद के लिए करना चाहते हैं."

Advertisement

'हेल सीजर : मोदी स्टाइल ऑफ फंक्शनिंग' अध्याय में नौकरशाह से राजनेता बने 81 वर्षीय सिन्हा ने कहा, "मोदी ने भारत सरकार की सभी निर्णय निर्माण शक्तियों को खुद में ही केंद्रीकृत कर दिया है, जिसमें उनके प्रधानमंत्री कार्यालय के कुछ चुनिंदा अधिकारी उनकी सहायता करते हैं." सिन्हा वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्री रहे थे.

पत्रकार आदित्य सिन्हा के साथ सह-लिखित पुस्तक में सिन्हा ने कहा, "हालांकि वह ढेर सारी फाइलों के पढ़ने के बजाए पॉवर प्वांइट प्रेजेंटेशन में रूचि रखने के लिए जाने जाते हैं. यह दुख की बात है. इसका मतलब है कि वह संस्थागत स्मृति में जमा बारीकियों को नहीं जानना चाहते. शायद यह एक ऐसे व्यक्ति के लिए उपयुक्त है जिसके बौद्धिक प्रशिक्षण में सावधानी का अभाव है (वास्तव में, किसी के पास संपूर्ण राजनीति विज्ञान में उसकी उच्च शिक्षा डिग्री दिखाई नहीं देती है)."

उन्होंने कहा कि भारत सरकार का प्रशासन तीन केंद्रों द्वारा चलाया जा रहा है, पहला प्रधानमंत्री और उनका कार्यालय, दूसरा वित्त मंत्री और उनका कार्यालय और तीसरा नीति आयोग.

पहले एक राजनेता अक्सर योजना आयोग की अध्यक्षता करता था लेकिन अब वह चुप है और उसे नीति आयोग से बदल दिया गया है, जहां मोदी ने ऐसे लोग बैठाए हैं, जिनका सरकार पर शून्य प्रभाव है. उन्होंने कहा कि इससे सरकार के दो चालक हो गए हैं.

Advertisement

दिग्गज राजनेता ने कहा कि सभी जानते हैं कि वित्त मंत्री का सरकार में कैसा प्रभाव है, जिसे नकारा नहीं जा सकता कि करीब करीब शून्य और वह अपने खुद के मंत्रालय में चीजों पर जोर देने में सक्षम नहीं हैं.

उन्होंने कहा, "आखिरकार, क्यों उनके वित्त सचिव हसमुख अधिया बदनाम नोटबंदी के फैसले में शामिल थे, वित्त मंत्री खुद अंधेरे में थे. वित्त सचिव की प्रधानमंत्री के प्रति निकटता गुजरात के समय की है."

उन्होंने कहा मोदी दुर्भाग्यवश एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो संस्थानों के लिए बेताब हैं. उनके खुद में विश्वास ने उन्हें इस बात के प्रति अंधा बना दिया है कि वह कोई राजा नहीं है, वह केवल एक संसदीय दल के प्रमुख हैं, जिसके पास बहुमत है, जो उन्हें सरकार बनाने में सक्षम बनाता है और उस सरकार की सीमाएं संविधान में निर्धारित हैं.

सिन्हा ने कहा कि कैबिनेट सामूहिक रूप से संसद के प्रति जिम्मेदार है. लेकिन एक संस्थान के रूप में यह प्रधानमंत्री के फैसलों के लिए रबर स्टाम्प में तब्दील हो गई है.

सिन्हा ने कहा, "ऐसा कहा जाता है कि अधिकांश कैबिनेट मंत्रियों को तब तक बात करने की इजाजत नहीं है जब तक कि उनके मंत्रालय का फैसला तय न हो जाए. मोदी मंत्रियों के विभिन्न फैसलों पर खड़े हुए हैं और उनके पास उनसे मिलने के लिए कोई समय नहीं है क्योंकि इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. मोदी केवल नौकरशाहों के माध्यम से शासन करते हैं और करेंगे और यही उनका मंत्र प्रतीत होता है."

Advertisement

Advertisement
Advertisement