उत्तर प्रदेश कर्मचारी संघ की शुक्रवार से शुरू हुई अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान कार्यालयों के निरीक्षण करने गये जिलाधिकारी अमित घोष के कृषि निदेशालय में एक कर्मचारी को थप्पड़ मार दिये जाने से जहां कर्मचारियों मे काफी आक्रोश है, वहीं विपक्षी दलो ने जिलाधिकारी के निलम्बन की मांग की है.
उक्त घटना कृषि निदेशालय में उस समय हुई जब कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल को देखते हुए जिलाधिकारी घोष अपने अधीनस्थ अधिकारियो और पुलिस बल के साथ कर्मचारियों की उपस्थिति का जायजा लेने कृषि निदेशालय पहुंचे तो किसी बात को लेकर उनकी कर्मचारियों से नोकझोंक हो गयी और उन्होंने कुद्ध होकर एक कर्मचारी को थप्पड़ मार दिया.
उल्लेखनीय है कि विभिन्न मांगो को लेकर कर्मचारी संघो द्वारा गुरुवार को राजधानी लखनऊ में किये गये प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा किये गये बर्बर लाठीचार्ज के विरोध में कर्मचारी शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं. पुलिस लाठीचार्ज और फिर जिलाधिकारी द्वारा कर्मचारी की पिटाई पर गहरी नाराजगी जताते हुए कर्मचारी संघ के नेताओं ने जिलाधिकारी और डीआईजी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.
कर्मचारी संघ के प्रवक्ता और नेता रमाकांत मिश्र ने कहा कि इन दोनो घटनाओं ने कर्मचारियों को और आंदोलित कर दिया है. उन्होंने मांग की कि दोषी अधिकारियो का तुरंत निलम्बन किया जाये. साथ ही यह भी कहा कि कर्मचारी सरकार व प्रशासन के दबाव में आकर झुकने वाले नहीं हैं. इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कर्मचारियों और शिक्षको पर किये गये पुलिस लाठीचार्ज और जिलाधिकारी द्वारा कर्मचारी की पिटाई की कड़े शब्दो में निन्दा करते हुए जिलाधिकारी और डीआईजी लखनऊ को तुंरत निलम्बित कर पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराये जाने की मांग की है.
डा. जोशी ने कहा कि कर्मचारी और शिक्षक अपनी मांगो को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे और पुलिस ने उनपर बर्बर लाठीचार्ज ही नहीं किया बल्कि इसमें शामिल महिलाओं को भी बुरी तरह पीटा गया जिसमें काफी कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गये. उप्र कांग्रेस के नेताओं ने भी दोनो अधिकारियो के कृत्य की निन्दा करते हुए, उनके निलम्बन की मांग की है.
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता प्रमोद तिवारी ने कर्मचारियो के उपर की गयी बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज, आंसू गैस की घटना को अत्यंत शर्मनाक और दु:खद बताया है और इसकी निष्पक्ष जांच के लिए राज्यपाल बीएलजोशी को एक मांग पत्र दिया है. राज्यपाल को सौपे पत्र में पुलिस द्वारा गरुवार को की गयी बर्बर हिंसा की निष्पक्ष जांच उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा कराने की मांग करते हुए कहा गया है कि राज्यपाल स्वयं हस्तक्षेप करके प्रदेश सरकार को निर्देश दे कि प्रदेश के कर्मचारियों को छठे वेतनमान का लाभ दिया जाये.