वैमानिकी विशेषज्ञ के. राधाकृष्णन ने शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाल लिया.
राधाकृष्णन ने जी. माधवन का स्थान लिया है.
इसरो में पिछले 35 साल से काम कर रहे 60 वर्षीय राधाकृष्णन ने चंद्रयान प्रथम सहित देश की कई महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष परियोजनाओं में अहम भूमिका निभाई है. नया पदभार संभालने के बाद उन्होंने कहा 'मैं इस पद की जिम्मेदारी ले रहा हूं जिससे कई उम्मीदें और अपेक्षाएं जुड़ी हैं. मुझपर सौंपी गई यह जिम्मेदारी एक कठिन कार्य है. मुझे पूरा विश्वास है कि इसरो की पूरी टीम के सहयोग और समर्पण से हम अपने लक्ष्य हासिल करने में सफल होंगे.' इसरो प्रमुख बनाए जाने से पहले राधाकृष्णन विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक थे.
इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद राधाकृष्णन 1973 से ही वीएसएससी से जुड़ गए थे. आईआईएम बैंगलोर से एमबीए करने के बाद राधाकृष्णन ने आईआईटी खड़गपुर से डॉक्टरेट की उपाधि ली. उन्होंने क्षेत्रीय दूरसंवेदी सेवा केंद्रों के निदेशक, बजट एवं वित्तीय विश्लेषण के निदेशक तथा अर्ली वार्निंग सिस्टम ऑफ सुनामी एंड स्टोर्म सर्जेज के परियोजना निदेशक पद पर अपनी सेवाएं दीं. केरल के त्रिचूर जिले के इरिंजालाक्कुड़ा गांव के रहने वाले राधाकृष्णन शास्त्रीय कला और संगीत के भी शौकीन हैं. उन्हें कथकली नृत्य पसंद है और अपनी तमाम व्यस्तता के बावजूद उन्होंने समय मिलने पर कभी कभी खुद भी कथकली नृत्य पेश किया है.
इस बीच इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक पी एस वीराराघवन को वीएसएससी के निदेशक का प्रभार सौंपा गया है. वीराराघवन ने पीएसएलवी और जीएसएलवी जैसी बड़ी भारतीय अंतरिक्ष परियोजनाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने वीएसएससी में इनर्शियल गाइडेन्स सिस्टम्स के निदेशक और मैकेनिज्म एंड व्हीकल इंटीग्रेशन के उपनिदेशक जैसे पदों पर काम कर इसरो को अपनी सेवाएं दी हैं.