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वर्ल्‍ड क्लास मानी जाने वाली दिल्ली की हकीकत!

वर्ल्‍ड क्लास मानी जाने वाली दिल्ली देश के कई शहरों की तुलना में भी कई मायनों में फिसड्डी है. ये खुलासा हुआ है बेंगलोर की एक एनजीओ की ओर से कराए गए एक सर्वे में.

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वर्ल्‍ड क्लास मानी जाने वाली दिल्ली देश के कई शहरों की तुलना में भी कई मायनों में फिसड्डी है. ये खुलासा हुआ है बेंगलोर की एक एनजीओ की ओर से कराए गए एक सर्वे में.

बैंगलोर के एनजीओ जनाग्रह ने देश भर के 11 शहरों में एक सर्वे कराया था. सर्वे में यूं तो 100 से ज़्यादा मानकों पर शहरों को कसा गया. लेकिन जब कुल मिलाकर नंबर जोड़े गए तो दिल्ली काफी नीचे खड़ी दिखाई पड़ी.

दरअसल दिल्ली ने प्लानिंग और डिज़ाइन के मामले में देश भर के शहरों में दूसरा स्थान हासिल किया. शहर की क्षमता और संसाधन के लिहाज से दिल्ली ने सभी शहरों को पछाड़ कर पहला पायदान भी हासिल किया. लेकिन जीवन शैली पर असर डालने वाले 21 कारकों में से 13 में उसे 10 में से 5 से भी कम अंक मिले. इनमें क्राइम, प्रदूषण, साफ-सफाई और लोगों के लिए खुला वातावरण शामिल हैं. इस सर्वे में शहरों को परखने वाले भी जानकार मानते हैं कि दिल्ली में सुधार की काफी जरुरत है.

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इस सर्वे में न सिर्फ देश भर के आबादी के लिहाज़ से बड़े शहरों को शामिल किया गया है, बल्कि उनकी तुलना दुनिया के बड़े शहरों न्यूयॉर्क और लंदन से भी की गई है. ऐसे में दिल्ली जब कई मायनों में सूरत और पुणे जैसे शहरों से ही कहीं पीछे है तो उनसे क्या तुलना.

देश भर में अगर बड़े शहरों की विकास की बात करें तो राजधानी दिल्ली का नाम ज़हन में जरूर आएगा. लेकिन सही मायनें में क्या वाकई दिल्ली ने इतनी तरक्की कर ली है? क्या दिल्ली में वो सारे संसाधन मौजूद हैं जो आम आदमी की जिंदगी को आसान बनाते हैं? शायद आपका जवाब हां में हो लेकिन जनाग्रह एनजीओ की रिपोर्ट पर गौर करें तो आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. दुनिया के बड़े शहरों से मुकाबले की बात तो दरकिनार दिल्ली भारत के कुछ छोटे शहरों से भी दौड़ में बहुत पीछे है.

आप भी नजर डालिए उन आंकड़ों पर जो देश की सबसे बड़ी राजधानी को सबसे छोटा साबित करते हैं. वर्ल्ड क्लास सिटी दिल्ली की हकीकत चौंकाने वाली है. चाहे प्लानिंग की बात हो या फिर संसाधनों की. हालात काफी बदतर हो चुके हैं. एनजीओ जनाग्रह के सर्वे ने चमक-दमक वाली दिल्ली की असली तस्वीर दिखलाई है. ये सर्वे सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, लंदन, न्यूयार्क, समेत देश के 11 बड़े शहरों में किया गया. सर्वे में जो नतीजे सामने आए उसमें दिल्ली सबसे पीछे खड़ी नजर आई.

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शहरी योजना और दिल्ली...
शहरी योजना में दिल्ली के खाते में सिर्फ 3.9 नंबर ही आए हैं. दिल्ली के मुकाबले कोलकाता ने 4.2 नंबर हासिल किए.

शहरी क्षमता, संसाधन और दिल्ली
देश की राजधानी के लिहाज से शहरी क्षमता और संसाधन को लेकर भी बढ़चढ़कर दावे किए जाते हैं. लेकिन सर्वे बताता है कि दिल्ली शहर यहां भी छोटे शहरों के मुकाबलें बहुत ज्यादा आगे नहीं है. शहरी क्षमता में राजधानी छोटे शहरों के बराबर संसाधन में दिल्ली को मिले 2.9 नंबर.

राजनीतिक प्रतिनिधित्व और दिल्ली
वैधानिक और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मामले में दिल्ली की हालत बेहद खस्ता नजर आई. यहां छोटे-छोटे शहरों ने दिल्ली से इस मामलें में बाज़ी मार ली. सर्वे के मुताबिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिहाज से दिल्ली 2.2 के पायदान पर नजर आई. जबकि अहमदाबाद, चैन्नई, हैदराबाद, जयपुर, कानपुर, कोलकाता, मुंबई, पुणे और सूरत ने दिल्ली से बाजी मार ली.

विश्वसनीयता और दिल्ली
सर्वे के मुताबिक पारदर्शिता और विश्वसनीयता के लिहाज से भी दिल्ली अपनी साख खो चुकी है. पारदर्शिता और विश्वसनीयता में दिल्ली ने हासिल किए 1.2 नंबर. अहमदाबाद, बैंगलोर, चैन्नई, हैदराबाद, कानपुर, कोलकाता, मुंबई, पुणे, सूरत दिल्ली से ज्यादा भरोसेमंद रहे.

जनाग्रह के सर्वे में दिल्ली समेत देश के ग्यारह और विदेश के दो शहरों को शामिल किया गया हैं. लगभग हर पायदान पर दिल्ली छोटे शहरों के मुकाबलें फिसड्डी साबित हुई. ऐसे में विदेशी शहरों के साथ दिल्ली की तुलना करना दूर की कौड़ी है. ये रिपोर्ट दिल्ली सरकार के उन तमाम दावों पर सवाल खड़ा करती है जिसमें राजधानी को वर्ल्ड क्लास सिटी बताते बताते दिल्ली की मुख्यमंत्री थकती नहीं.

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