आने वाले समय में ट्रेनों के नाम कुछ ऐसे भी हो सकते हैं- पेप्सी राजधानी, कोका कोला शताब्दी, लाइफबॉय गरीब रथ और सैमसंग सुपर फास्ट. जी हां, रेलवे अपने लोकप्रिय ट्रेनों के नामों के आगे बड़ी कंपनियों के ब्रांड के नाम रखने की इजाजत दे सकती है. इतना ही नहीं स्टेशनों के नाम भी पॉपुलर ब्रांड के नाम पर रखने की भी सिफारिश की गई है.
बताया जाता है कि इनसे प्राप्त धन रेलवे की परियोजनाओं को पूरा करने में लगाया जाएगा. दरअसल, रेलवे की वित्तीय हालत सुधारने के लिए बनाई गई मित्तल कमिटी ने यह सुझाव दिया है. अपने 76 पन्नों की रिपोर्ट में डेकी मित्तल की कमिटी ने सुझाव दिया है कि ट्रेनों के नाम के साथ ब्रांड के नाम लगाकर रेलवे काफी धन अर्जित कर सकती है. इस कमिटी ने कुछ दिनों पहले अपनी रिपोर्ट दी है. एक वेबसाइट के मुताबिक यह सुझाव कमिटी द्वारा दिए गए दर्जनों सुझाव में से एक है.
कमिटी में कई संस्थानों से जुड़े प्रतिनिधि भी थे. उनके अलावा मैनेजमेंट की दुनिया के कुछ बड़े नाम मसलन बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप, मैकिंजी, अर्न्स्ट ऐंड यंग और कैपीएमजी के भी सलाहकार थे. इस कमिटी ने मंत्रालयों और फिक्की, एसोचैम जैसे व्यापारिक संगठनों से भी बातचीत की. इसके अलावा जन प्रतिनिधियों से बातचीत करके रेलवे की आय बढ़ाने के रास्तों पर विचार किया.
रेलवे की बड़ी-बड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए उसे एक लाख 65 हजार करोड़ रुपये की जरूरत पड़ेगी. इतना पैसा कैसे आएगा इस पर कमिटी ने काफी काम किया है. इसी के तहत यह सुझाव भी आया कि बड़ी-बड़ी कंपनियों के ब्रांड नेम ट्रेनों के नाम के साथ जोड़कर उनसे धन कमाया जा सकता है.