संसद में नागरिकता संशोधन बिल के आने से पहले बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के टीचर, छात्र और कर्मचारियों ने सांसदों के नाम एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी में सांसदों से अपील की गई है कि वो इस बिल का विरोध करें. इसके लिए आने वाली पीढियां उन्हें सलाम करेंगी.
टीचर, छात्र और कर्मचारियों का कहना है कि नागरिकता संशोधन बिल हमारे मूल अधिकार के खिलाफ है, जो हमें संविधान से मिले हैं. चिट्ठी में धर्म के आधार पर किसी कानून बनाए जाने का विरोध किया गया है. बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के टीचर, छात्र और कर्मचारियों ने कहा कि नागरिकता बिल और एनआरसी के जरिए समाज में डर फैलाया जा रहा है.
आईआईएम बेंगलुरु के छात्रों और शिक्षकों ने सांसदों को लिखा है कि नागरिकता संशोधन बिल (CAB) कैबिनेट से पास हो चुका है और इसे शीघ्र ही संसद में पेश किया जाएगा. छात्रों का आरोप है कि ये बिल संविधान के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है. छात्रों ने कहा है कि संविधान में धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया है, लेकिन इस बिल में धर्म के आधार पर ही नागरिकता देने का प्रावधान है.
20 करोड़ मुसलमानों के दिल में डर
छात्रों ने लिखा है कि CAB के अलावा एनआरसी को पूरे देश में लागू करने की चर्चाएं हैं इससे करोड़ों मुसलमानों के दिल में खौफ भर गया है. भारत की ताकत इसकी विविधता में है. 20 करोड़ मुसलमानों से उनका बुनियादी अधिकार छीन लेना भारत को मजबूत नहीं बनाएगा. बजाय इसके इस बिल से भारत में हमेशा के लिए नफरत की बुनियाद पड़ जाएगी.
CAB से जातीय और साम्प्रदायिक अंसतोष
छात्रों ने कहा कि CAB से जातीय और साम्प्रदायिक अंसतोष भड़केगा और इसका असर तमिलनाडु से लेकर असम तक देखने को मिलेगा. जबकि जिन लोगों के लिए ये बिल लाया जा रहा है उन्हें इसका फायदा मिलने की कम ही उम्मीद है. इसलिए आपसे गुजारिश है कि संसद में इस बिल का विरोध किया जाए.