scorecardresearch
 

भारत के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया में यूं हो रहा GST का असर

काफी सेक्स वर्कर्स गरीब परिवारों से आती हैं, उन्हें सैनिटरी नैपकिन्स इस्तेमाल करने के लिए काफी कन्विन्स किया गया था. या तो सरकार इसे टैक्स से बाहर रखती या फिर 5 फीसदी का टैक्स लगाती.

Advertisement
X
 रेड लाइट एरिया में यूं हो रहा GST का असर
रेड लाइट एरिया में यूं हो रहा GST का असर

भारत के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी में भी जीएसटी लागू होने का असर हो रहा है. एक तरफ जहां कंडोम के ऊपर जीरो फीसदी टैक्स लगने की खुशी है, वहीं सैनिटरी नैपकिन पर 18 फीसदी जीएसटी चिंता की बात है.

यहां उषा को-ऑपरेटिव बैंक है जिसे सेक्स वर्कर ही चलाती हैं. 30 हजार सदस्यों वाले इस बैंक से हजारों सेक्स वर्कर्स को सैनिटरी नैपकिन और कंडोम दिए जाते हैं.

बैंक की फाइनेंस मैनेजर शांतनु चटर्जी कहती हैं कि हमें सब्सिडी के तहत सैनिटरी नैपकिन मिलता था और हम उसे सेक्स वर्कर्स को देते थे. लेकिन 18 फीसदी जीएसटी लगाए जाने के बाद जो कंपनियां हमें सप्लाई करती हैं, उन्होंने डिस्काउंट देने से मना कर दिया है.

बैंक के साथ काम करने वाली दरबार कमेटी की मेंटर समरजीत जना कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में हमने एचआईवी/एड्स के मामलों को 5-6 फीसदी से 2 फीसदी करने में कामयाबी हासिल की है. उन्होंने कहा कि हम कंडोम पर जीरो जीएसटी का स्वागत करते हैं, लेकिन सैनिटरी नैपकिन पर टैक्स लगाने से सेक्स वर्कर्स को मुश्किल होगी.

Advertisement

उन्होंने कहा कि काफी सेक्स वर्कर्स गरीब परिवारों से आती हैं, उन्हें सैनिटरी नैपकिन्स इस्तेमाल करने के लिए काफी कन्विन्स किया गया था. उन्होंने कहा कि या तो सरकार इसे टैक्स से बाहर रखती या फिर 5 फीसदी का टैक्स लगाती. जना ने कहा कि वे अब नया जागरुकता कैंपेन शुरू करेंगे.

बैंक के अधिकारियों के मुताबिक, वे 3.33 रुपये की दर से नैपकिन खरीदते थे और 63 पैसे प्रति नैपकिन बेचते थे. जीएसटी के बाद एक नैपकिन के लिए बैंक को 8 रुपये देने होंगे. सोनागाछी की ज्यादातर सेक्स वर्कर सस्ते रेट पर मिलने वाले सैनिटरी नैपकिन पर ही निर्भर रहती हैं.

Advertisement
Advertisement