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हाईकोर्ट का आदेश, 67 मरीजों को 25-25 लाख रुपये दे जॉनसन एंड जॉनसन

67 मरीजों ने कूल्हा प्रत्यारोपण कराया था जिसका उपकरण बहुराष्ट्रीय कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने मुहैया कराया था, हालांकि प्रत्यारोपण के बाद ये उपकरण खराब निकले.

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सांकेतिक तस्वीर (एजेंसी)
सांकेतिक तस्वीर (एजेंसी)

दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए विश्व प्रसिद्ध अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन को 67 मरीजों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. कोर्ट का यह फैसला दोषपूर्ण कूल्हा प्रत्यारोपण उपकरण मुहैया कराने के मामले में कंपनी पर जुर्माना लगाया गया है.

सभी पीड़ित 67 मरीजों ने कूल्हा प्रत्यारोपण कराया था जिसका उपकरण बहुराष्ट्रीय कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने मुहैया कराया था, हालांकि प्रत्यारोपण के बाद ये उपकरण खराब निकले. इससे पहले कंपनी ने हाईकोर्ट को जानकारी दी कि मरीजों की दूसरी बार सर्जरी कराई गई.

289 ने की थी शिकायत

जस्टिस विभू बाखरू ने कंपनी से अगले 2 हफ्ते में सभी पीड़ितों को पहचान कर मुआवजा की राशि देने को कहा है, साथ ही 8 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई के दौरान पूरी लिस्ट बनाकर आने का निर्देश दिया. दोषपूर्ण कूल्हा प्रत्यारोपण उपकरण के मामले में 289 लोगों ने शिकायत की थी, जिसमें से 67 लोगों की पहचान की गई.

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इसी मामले में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO)  पहले ही कंपनी को 4 मरीजों को क्रमशः 65 लाख, 74 लाख, 1 करोड़ और 90.26 लाख रुपये का मुआवजा देने को कहा था. केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने मरीजों के दस्तावेजों की पड़ताल करने के बाद कंपनी को मुआवजा देने को कहा है.

बेबी शैंपू की खेप वापस लेने का आदेश

हालांकि कंपनी इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट चली गई, जहां पर अगस्त में अगली सुनवाई होनी है. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान जॉनसन एंड जॉनसन ने कहा कि मरीजों के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया चलाई और कुछ मरीजों की पहचान की गई जिन्हें मुआवजा दिया जाएगा.

इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने जॉनसन एंड जॉनसन को निर्देश दिया कि वह कथित घातक रसायन वाले अपने बेबी शैंपू की खेप को तत्काल प्रभाव से बाजार से वापस ले ले. हालांकि कंपनी का दावा है कि उसके उत्पाद सुरक्षित हैं. जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी का कहना है कि उसके शैंपू में कोई घातक तत्व नहीं है. यह पूरी तरह से सुरक्षित है और इनके इस्तेमाल से बच्चों की सेहत पर किसी तरह का बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा.

शैंपू की बिक्री पर यूपी ने लगाई रोक

कंपनी का कहना है कि हाल ही में राजस्थान की एक सरकारी प्रयोगशाला में गलती से यह निष्कर्ष निकला था कि शैंपू में हानिकारक रसायन हैं जबकि उसके उत्पादों में ऐसा कोई घातक तत्व मौजूद नहीं है. इस निष्कर्ष के संबंध में एनसीपीसीआर में शिकायत दर्ज की गई थी.

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इससे पहले उत्तर प्रदेश ने महीने की शुरुआत में बेबी शैंपू में सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले रासायनिक तत्व फॉर्मेल्डिहाइड पाए जाने पर अपने यहां इसकी बिक्री पर रोक लगा दी थी. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि नियंत्रण (एफएसडीए) की टीम ने मई के पहले हफ्ते में कंपनी के लखनऊ स्थित सेंट्रल स्टोर में छापा मारकर कंपनी के उत्पादों के सात और नमूने लिए थे.

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