सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और सतर्कता आयुक्त ( वीसी) की नियुक्ति पर मुहर लगाते हुए इसे चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हमें याचिका में कोई आधार नहीं मिला जिससे इन्हें रद्द किया जाए. इस संबंध में एनजीओ कॉमन कॉज और सेंटर फॉर इंटीग्रिटी एंड गर्वनेंस ने याचिका दायर की थी.
दरअसल, कॉमन कॉज ने सीवीसी के वी चौधरी और वीसी टी एम भसीन की नियुक्ति को चुनौती देते हुए कहा था कि ये नियुक्तियां गैरकानूनी हैं. याचिका के मुताबिक दोनों के खिलाफ सांस्थानिक अखंडता के खिलाफ काम करने के आरोप हैं.
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो राजनीतिक पक्षपात के पहलू पर गौर नहीं करेगा, लेकिन केवल इस बात की जांच करेगा कि सीवीसी और सतर्कता आयुक्तों के पदों पर नियुक्त व्यक्ति बेदाग छवि होने का मानदंड पूरा करता है या नहीं.
पहले भी हुई है सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में दायर एक याचिका पर सुनवाई की थी. तब सीवीसी के वी चौधरी और सतर्कता आयुक्त वीसी टी एम भसीन की नियुक्ति पर यह आरोप लगाते हुए चुनौती दी गई थी कि उनका साफ रिकॉर्ड नहीं है और उनकी नियुक्ति के दौरान अपारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया गया. 2013 में उनके खिलाफ आरोपों पर सीवीसी ने जांच भी की थी. बता दें कि के वी चौधरी को सीवीसी पद पर छह जून 2015 को जबकि भसीन को 2015 में 11 जून को वीसी नियुक्त किया गया था.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि उसके सामने सवाल यह है कि इन पदों पर नियुक्त व्यक्ति बेदाग छवि के हैं या नहीं. पीठ ने कहा सवाल बेदाग छवि का है, राजनीतिक पक्षपात का नहीं. हम इस पहलू पर गौर करेंगे. वहीं कोर्ट ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल से पूछा था कि क्या प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और नेता प्रतिपक्ष वाली चयन समिति द्वारा किया गया फैसला सर्वसम्मति से लिया गया. इसके जवाब में वेणुगोपाल ने कहा कि हां यह एक प्रशासनिक फैसला था. जबकि याचिकाकर्ता कॉमन कॉज की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि चौधरी के खिलाफ कई ज्ञापनों के बावजूद सरकार ने उन्हें सीवीसी के पद पर नियुक्त किया क्योंकि वह उनके पसंदीदा उम्मीदवार थे.