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आने वाले दिनों में मिलेंगी आयुर्वेद की और भी ज्यादा असरदायक दवाएं

देश के करोड़ों मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही नई आयुर्वेद दवाएं मिल सकेंगी. केंद्रीय वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद ने 36 प्रयोगशालाओं में आयुर्वेद के फार्मूलों से नई दवाएं खोजने का फैसला लिया है. इसके लिए सीएसआईआर ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय के साथ करार भी किया है.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

देश के करोड़ों मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराने के लिए जल्द ही नई आयुर्वेद दवाएं मिल सकेंगी. केंद्रीय वैज्ञानिक एवं औद्यौगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने 36 प्रयोगशालाओं में आयुर्वेद के फार्मूलों से नई दवाएं खोजने का फैसला लिया है. इसके लिए सीएसआईआर ने केंद्रीय आयुष मंत्रालय के साथ करार भी किया है.

दोनों महकमों ने उम्मीद जताई है कि इससे आने वाले समय में देश में लाइलाज बीमारियों की नई दवाओं की खोज का रास्ता साफ होगा.

सीएसआईआर पहले ही बड़े पैमाने पर पौधों से निर्मित प्राकृतिक दवाओं पर गहन अनुसंधान गतिविधियों में शामिल हो चुका है. इसी के तहत दुनिया के कई देशों में तेजी से बढ़ते मधुमेह रोग के लिए बड़े पैमाने पर सीएसआईआर-एनबीआरआई और सीएसआईआर सीमैप द्वारा विकसित किया है. बीजीआर-34 के नाम से एमिल फॉर्मास्युटिकल ने इसे लॉन्च किया था, जो कि देश में अत्यधिक सफल रहा है.

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जानकारी के अनुसार बीजीआर-34 एक वैज्ञानिक रूप से विकसित दवा जो विभिन्न चिकित्स्य परीक्षणों को पूरा कर निर्मित की गई है और मधुमेह को कंट्रोल करने में अत्यंत लाभकारी है. सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ. शेखर सी. मांडे का कहना है कि सीएसआईआर ने पूर्व में आयुर्वेद से जुड़े कई अहम अध्ययन किए हैं.

इनमें एक अध्ययन में इस बात की पुष्टि की है कि मनुष्य की जेनेटिक संरचना की प्रकृति अलग-अलग होती है. इसे आयुर्वेद के वात, कफ और पित्त प्रकृति के अनुरूप पाया गया है. यानी तीनों प्रकृतियों की जेनेटिक संरचना के लोगों के लिए अलग-अलग दवाएं होनी चाहिए. इस शोध में प्रकृति के आधार पर भी दवाएं विकसित करने की दिशा में कार्य किया जाएगा. आयुष मंत्रालय से करार होने के बाद परंपरागत चिकित्सा ज्ञान से नई दवाओं की खोज होगी. साथ ही कुछ फार्मूलों को खाद्य पदार्थ के रूप में पेश किया जाएगा जिनसे लोगों में बीमारियों से बचाव हो सके.

आयुष मंत्रालय के सचिव डॉ. राजेश कोटेचा का कहना है कि आयुर्वेद को लेकर डिजिटल लाइब्रेरी हाल ही में विकसित कर चुके हैं जिसमें आयुर्वेद के सभी फार्मूलों को कई विदेशी भाषाओं में लिपिबद्ध किया है. इससे आयुर्वेद के नुस्खों पर विदेशों में होने वाले पेटेंट पर रोक लग गई है लेकिन अब इन्हीं फार्मूलों को खंगालकर सीएसआईआर नई दवा विकसित करेगा.

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