देश में लागू लॉकडाउन के कारण उद्योग-धंधों पर ताले लग गए. बड़ी तादाद में मजदूरों की रोजी-रोटी छिन गई. आमदनी बंद हो गई, तो दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए. पेट की आग से परेशान मजदूरों के पास घर लौटने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा, लेकिन जाएं तो जाएं कैसे. न रेल चल रही, ना बस. मजदूरों के धैर्य ने जवाब दिया, तो वे निकल पड़े पैदल ही.
कहीं प्रवासी मजदूर सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं, तो कहीं हाईवे पर उनका गुस्सा कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन रहा है. हरियाणा के यमुनानगर में शनिवार को पंजाब और चंडीगढ़ से घर जा रहे प्रवासी मजदूरों ने यमुनानगर के करेड़ा खुर्द गांव के पास नेशनल हाईवे 344 को जाम कर दिया. मौके पर पहुंची पुलिस ने मजदूरों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन मजदूर अड़े रहे.
प्रवासी मजदूरों का अड़ियल रुख देख पुलिस ने लाठी भांजी. हालात की मार के बाद जब पुलिस की मार पड़ी, तो मजदूर गिरते-पड़ते खेतों के रास्ते भागे. प्रवासी मजदूरों का सामान हाईवे पर और खेतों में इधर-उधर बिखर गया. पंजाब और चंडीगढ़ से आ रहे मजदूरों के साथ यमुनानगर में फंसे मजदूर भी सड़क पर उतर गए थे. प्रवासी मजदूरों का आरोप था कि उन्हें घर लौटने से बार-बार रोका जा रहा है.
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कई मजदूरों ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा कि पहले पंजाब में नौकरी चली गई, अब उन्हें अपने राज्य नहीं जाने दिया जा रहा और ना ही इसके लिए कोई व्यवस्था ही की जा रही है. मौके पर पहुंचे यमुनानगर के पुलिस अधीक्षक हिमांशु गर्ग ने इसे सामान्य घटना बताया. दूसरी तरफ, पंजाब के संगरूर में भी वेतन न मिलने से आक्रोशित मजदूरों ने फैक्ट्री के बाहर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया
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वहीं, बिहार के मुजफ्फरपुर में भी अन्य जगह से लौटे प्रवासी मजदूरों ने क्वारनटीन सेंटर में सुविधा की कमी पर हंगामा किया. मुजफ्फरपुर के मरीचा मिडिल स्कूल में भरपेट खाना नहीं दिए जाने और बदइंतजामी के आरोप लगाते हुए मजदूर सड़क पर उतर आए और चक्का जाम कर दिया. मजदूरों ने आरोप लगाया कि क्वारनटीन सेंटर के पास जंगल से सांप निकल रहे हैं.