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कोर्ट ने माना- सबूत नहीं दे सकी CBI, इसलिए येदियुरप्पा और उनके बेटे हुए बरी

अदालत ने अपने फैसले में सीबीआई की जांच पर सवाल भी उठाए और कहा कि वह आरोप साबित करने में नाकाम रही. कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, उनके दो बेटों और परिवार के कुछ अन्य सदस्यों को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में बरी कर दिया था.

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आरोप साबित करने में नाकाम रही सीबीआई
आरोप साबित करने में नाकाम रही सीबीआई

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, उनके दो बेटों और परिवार के कुछ अन्य सदस्यों को सीबीआई की एक विशेष अदालत ने बुधवार को भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में बरी कर दिया. लेकिन अदालत ने अपने फैसले में सीबीआई की जांच पर सवाल भी उठाए और कहा कि वह आरोप साबित करने में नाकाम रही.

येदियुरप्पा पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने डिप्टी सीएम रहते हुए 2006 में एक एकड़ सरकारी जमीन को डिनोटिफाई कर दिया, जिससे कि जमीन एसएन कृष्णैया शेट्टी की हो गई और उन्होंने बाद में जमीन को येदियुरप्पा के बेटों को 20 लाख रुपये में बेच दिया. आरोप था कि उनके बेटों ने फर्जी कागजात के आधार पर जमीन लिए. बाद में उन्होंने ये जमीन 20 करोड़ रुपये में जेएसडब्ल्यू स्टील को बेच दी.

खरीद-बिक्री को सही कहा
कोर्ट ने कहा कि जमीन को डिनोटिफाई 2004 में कांग्रेस के शासनकाल में ही किया गया था, हालांकि, उनके बाद धरम सिंह की सरकार ने इसे कैंसिल कर दिया था. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई ये साबित नहीं कर सकी कि येदियुरप्पा के बेटों ने जाली कागजात के आधार पर जमीन लिए. कोर्ट ने जमीन की बिक्री को भी आसपास की और जमीन की खरीद-बिक्री से तुलना करते हुए सही बताया.

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येदियुरप्पा के बेटों पर यह भी आरोप था कि उन्होंने गैर कृषि क्षेत्र से 2 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय होने के बावजूद भी उन्होंने इसे कम दिखाया, ताकि खेती के नाम पर प्लॉट ले सकें. कोर्ट ने इस आरोप को भी खारिज कर दिया और कहा कि 2005-06 से पहले यदियुरप्पा के बेटों की आय कम थी.

जमीन से जुड़े एक और मामले में कोर्ट ने कहा कि सीबीआई ये साबित करने में नाकाम रही कि येदियुरप्पा के दबाव में जमीन का हस्तानांतरण किया गया.

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