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2 साल में 51 कंपनियों ने 1038 करोड़ काला धन हॉन्गकॉन्ग भेजा

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 51 कंपनियों और तीन राष्ट्रीय बैंकों के अधिकारियों के ख़िलाफ़ वर्ष 2014-15 में एक हज़ार करोड़ से ज़्यादा का काला धन कथित तौर पर ट्रांसफर करने के मामले में FIR दर्ज की है. जांच एजेंसी का कहना है कि सीबीआई की बेंगलुरु यूनिट को संदिग्ध फर्जीवाड़े की सूत्रों से सूचना मिली.

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51 कंपनियों, 3 राष्ट्रीय बैंकों के खिलाफ CBI का एक्शन (प्रतीकात्मक तस्वीर-PTI)
51 कंपनियों, 3 राष्ट्रीय बैंकों के खिलाफ CBI का एक्शन (प्रतीकात्मक तस्वीर-PTI)

  • 51 कंपनियों, 3 बैंकों के अधिकारियों के खिलाफ CBI ने दर्ज़ की FIR
  • 1038 करोड़ रुपए का काला धन ट्रांसफर करने का है मामला

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 51 कंपनियों और तीन राष्ट्रीय बैंकों के अधिकारियों के ख़िलाफ़ वर्ष 2014-15 में एक हज़ार करोड़ से ज़्यादा का काला धन कथित तौर पर ट्रांसफर करने के मामले में FIR दर्ज की है. अधिकारियों के मुताबिक इस कथित फर्जीवाड़े के लिए फर्जी कंपनियों का सहारा लिया गया और घूस लेकर बैंक अधिकारियों ने मदद की.

जांच एजेंसी का कहना है कि सीबीआई की बेंगलुरु यूनिट को संदिग्ध फर्जीवाड़े की सूत्रों से सूचना मिली. सूचना में बताया गया कि वर्ष 2014 और 2015 में करोड़ों रुपए का बेहिसाबी काला धन हांगकांग भेजा गया. इसके लिए फर्जी विदेशी रमिटन्स (भेजी रकम) का सहारा लिया गया. इसमें अधिकतर चेन्नई के लोग थे. उन्होंने विभिन्न बैंकों के अज्ञात अधिकारियों की साठगांठ के साथ इसे अंजाम दिया. इन अधिकारियों का संबंध चेन्नई स्थित बैंक ऑफ इंडिया, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब नेशनल बैंक समेत विभिन्न बैंकों से रहा. इस आपराधिक साज़िश में 1038.34 करोड़ रुपए की रकम शामिल रही.

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सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है कि सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक 48 कंपनियों के 51 खाते, बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) की चार शाखाओं में खोले गए. इन सभी का इस्तेमाल 1038.34 करोड़ रुपए की बाहर जाने वाली रमिटन्स को प्रभावित करने के लिए किया गया.

इन 51 खातों में से 24 खातों का इस्तेमाल बाहर जाने वाली विदेशी रमिटन्स के जरिए 4883910991 रुपए (अमेरिकी डॉलर में) भेजने के लिए किया गया. इसे आयात की जाने वाली चीज़ों के लिए एडवांस रकम के तौर पर दिखाया गया. वहीं 27 खातों का इस्तेमाल बाहर भेजने वाली विदेशी रमिटन्स के जरिए 5499523907 रुपए (अमेरिकी डॉलर में) भेजने के लिए किया गया. ये रकम भारतीय लोगों के विदेश दौरों के लिए दिखाई गई.

कोड सर्टिफिकेट किए गए जमा

एजेंसी के दावे के मुताबिक ये खुलासा हुआ कि आयातित चीज़ों के लिए एडवांस रमिटन्स भेजने के लिए अलग अलग कॉम्बिनेशन्स में KYC मानकों को पूरा करने के लिए अभियुक्तों ने वोटर आई कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के सर्टिफिकेट जमा किए. इसके अलावा DGFT, चेन्नई की ओर से 25 कंपनियों को जारी आयात निर्यात कोड सर्टिफिकेट भी जमा किए गए.  

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फर्जीवाड़े में 24 फर्जी कंपनियों में से सिर्फ 10 कंपनियों ने बड़ी थोड़ी मात्रा में आयात किया था. जांच के दौरान पाया गया कि जो चीज़ें आयात की गई और आयात का जो मूल्य दिखाया गया, उनका कंपनियों की ओर से संबंधित बैंकों को जो इनवॉयस और जानकारी दी गई, उनसे मेल नहीं बैठता था. ऐसे आयात का मूल्य कंपनियों की ओर से जमा की गई इनवॉयस की तुलना में बहुत कम था.

अधिकारी भी फर्जीवाड़े में रहे शामिल

सीबीआई के एक सूत्र ने बताया, “ये सामने आया कि कुछ अधिकारी भी इस फर्जीवाड़े में शामिल थे. उन्हें ट्रांसफर की गई रकम और बैंक खाता कितनी अवधि के लिए सक्रिय रहा, के आधार पर कमीशन दी गई. संबंधित बैंक अधिकारियों को नकदी में भी घूस दी गई.”

एफआईआर में कहा गया, ‘ज़ाहिर है कि बैंक अधिकारियों का जिन पर फॉरेन एक्सचेंज के नियंत्रण की जिम्मेदारी होती है उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का पूरी गंभीरता और सतर्कता से पालन करना होता है. अधिकतर रमिटन्स 2015 के दूसरे उत्तरार्ध में भेजी गई.ये देखा गया कि इन कंपनियों का वार्षिक टर्नओवर लाखों में दिखाया गया जबकि रमिटन्स के जरिए भेजी गई रकम करोडों में थी. ये सब फ़र्जी तरीके से बैंक अधिकारियों की साठगांठ से किया गया.’ 51 कंपनियों (मालिकों समेत) और अज्ञात बैंक अधिकारियों के खिलाफ फर्जीवाड़े, आपराधिक साज़िश के आरोप में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज की गई.

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