मायावती नीत बहुजन समाज पार्टी राज्यसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है और इसने माकपा को चौथे स्थान पर खिसका दिया है. पश्चिम बंगाल और केरल में विधानसभा चुनाव से पहले वामपंथियों के लिए यह एक और निराशाजनक खबर है.
संसद के उच्च सदन की 55 सीटों के लिए पिछले महीने हुए चुनाव के बाद 245 सदस्यीय राज्यसभा में माकपा की संख्या जहां 16 से घटकर 15 रह गयी है, वहीं बसपा 13 से बढ़कर 18 सीटों पर पहुंच गयी है.
उत्तर प्रदेश में बसपा की चिरप्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी को भी बड़ा नुकसान हुआ है और राज्यसभा में इसकी सदस्य संख्या 11 से घटकर पांच हो गयी है. कांग्रेस और भाजपा के अलावा अपनी सीटों में इजाफा करने वाले दलों में द्रमुक (चार से सात सीट), बीजद (चार से छह सीट) और तेलगूदेशम पार्टी (दो से चार सीट) हैं.{mospagebreak}राज्यसभा में जिन दलों का प्रतिनिधित्व कम हुआ है, उनमें जयललिता नीत अन्नाद्रमुक भी है, जिसके पहले सात सदस्य थे और अब केवल पांच रह गये हैं. हालांकि पिछले महीने हुए 55 सीटों के चुनाव में सर्वाधिक सीटें संप्रग की झोली में आयी हैं लेकिन फिर भी उसे उच्च सदन में बहुमत प्राप्त नहीं है.
शरद पवार नीत राकांपा की सदस्य संख्या छह से सात हो गयी है, वहीं तृणमूल कांग्रेस दो पर ही बनी हुई है. नेशनल कांफ्रेंस के भी दो सदस्य राज्यसभा में हैं. भाजपा की सदस्य संख्या 47 से बढ़कर 49 हो गयी है. कर्नाटक और राजस्थान में पार्टी को अच्छी सीटें मिलीं लेकिन झारखंड में एक सीट गंवानी पड़ी.