लोकसभा चुनाव में भाजपा व राजग के लिए सबसे ज्यादा संभावनाओं वाले सूबे बिहार में आखिरकार भाजपा ने अपनी अंतर्कलह पर काबू पा ही लिया। पार्टी आलाकमान ने सत्ता व संगठन के सभी तरह के महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए पांच सदस्यीय कोर ग्रुप गठित किया है। इसमें मौजूदा नेतृत्व व उससे असंतुष्ट दोनों पक्षों का समावेश किया गया है। इस सुलह समझौते को अंतिम रूप देने के बाद पार्टी के शीर्ष नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राज्य के सभी प्रमुख नेताओं को आगे की चुनावी सफलता के लिए मिलकर काम करने की नसीहत भी दी है।
बिहार में भाजपा को संभावित बड़े नुकसान से बचाने में संकटमोचक की भूमिका पूर्व अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने निभाई। वह तीन दिन की मशक्कत के बाद राज्य के सभी बड़े नेताओं को एक साथ लाने और सामूहिक नेतृत्व व निर्णय की व्यवस्था कायम करने में सफल रहे हैं। इसके तहत प्रदेश में अब पांच प्रमुख नेताओं का कोर ग्रुप सभी तरह के बड़े फैसले मिलकर लेगा, चाहे वह सरकार से जुड़े हों या फिर संगठन से। इसमें प्रदेश अध्यक्ष राधामोहन सिंह, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी, राज्य सरकार में मंत्री नंदकिशोर यादव, अश्विनी चौबे और हृदयनाथ सिंह शामिल हैं।
राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर शुरू हुआ असंतोष उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के खिलाफ मतदान तक पहुंचने के कारण प्रदेश में भाजपा के सभी बड़े नेताओं के बीच गहरे मतभेद हो गए थे। ऐसे में राज्य में पार्टी की लोकसभा तैयारियां प्रभावित हो रही थीं।