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ममता के मंत्री ने राज्यपाल को बताया मानसिक रूप से विकलांग, कार्यकर्ताओं ने दिखाए काले झंडे

बंगाल के योजना और सांख्यिकी मंत्री तापस रॉय का कहना है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ मानसिक रूप से ठीक नहीं हैं. वहीं,  शनिवार को हावड़ा में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल का विरोध किया और उन्हें काले झंडे व बैनर दिखाए.

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तापस रॉय (फाइल फोटो- PTI)
तापस रॉय (फाइल फोटो- PTI)

  • टीएमसी कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को दिखाए काले झंडे
  • कार्यकर्ताओं के बैनरों पर लिखा था- शर्म करो राज्यपाल

पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच का मतभेद अब सड़क पर भी दिखने लगा है. शनिवार को हावड़ा में टीएमसी कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल का विरोध किया और उन्हें काले झंडे व बैनर दिखाए. इन बैनरों पर लिखा था 'शर्म करो राज्यपाल.'

वहीं, बंगाल के योजना और सांख्यिकी मंत्री तापस रॉय का कहना है कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ मानसिक रूप से ठीक नहीं हैं. उन्होंने यह बात शनिवार को उत्तर 24 परगना जिले के काकीनाड़ा में एक पार्टी कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कही. रॉय ने कहा, 'वह (राज्यपाल) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देशानुसार काम कर रहे हैं. राज्यपाल को उनके द्वारा ही भेजा गया था.'

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उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह से राज्यपाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हैं, उस संदर्भ में मुझे कहना होगा कि राज्यपाल ठीक नहीं हैं. आप उन्हें मानसिक रूप से बीमार कह सकते हैं. वह मानसिक रूप से विकलांग लगते हैं और ऐसे व्यक्ति को हमारे बंगाल में एक संवैधानिक प्रमुख के रूप में भेजा गया है.'

बता दें कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ के लिए बीते गुरुवार को विधानसभा का वीआईपी गेट बंद रखने के मामले ने तूल पकड़ लिया था. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और पश्चिम बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य में बाबा साहेब के संविधान की धज्जियां उड़ रहीं हैं और वहां ममता बनर्जी का अलिखित संविधान लागू हो गया है.

दरअसल, राज्यपाल धनखड़ ने पश्चिम बंगाल विधानसभा अध्यक्ष को बुधवार को ही पत्र लिखकर गुरुवार के दौरे की पूर्व सूचना दी थी. गुरुवार को जब वह विधानसभा के वीआईपी गेट नंबर तीन पर पहुंचे तो वह बंद मिला. बताया गया कि विधानसभा अध्यक्ष ने सदन को दो दिन के लिए स्थगित कर दिया है. काफी देर इंतजार के बाद भी जब गेट खोलने के लिए कोई नहीं आया तो मजबूरन उन्हें गेट नंबर 4 से अंदर प्रवेश करना पड़ा.

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राज्यपाल ने इसे लोकतंत्र के लिए शर्मनाक दिन बताया. इस घटना पर भाजपा पश्चिम बंगाल सरकार पर हमलावर हो उठी. पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने दो ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने पहले ट्वीट में कहा, 'विधानसभा संवैधानिक रूप से राज्यपाल के अधीन होती है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ द्वारा लिखित रूप से सूचना देने के बाद कि वह 5 दिसंबर को विधानसभा आएंगे, विधानसभा का वीआईपी गेट उनके आगमन के बाद भी नहीं खोला गया. पूर्व सूचना के बावजूद कोई अधिकारी वहां मौजूद नहीं था.'

दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा, 'राज्यपाल विधानसभा परिसर में पैदल ही घूमकर निकल गए. क्या इस घटना से यह नहीं लगता कि बंगाल में बाबा साहेब के बनाए (देश के) संविधान की धज्जियां उड़ रहीं हैं और बंगाल में ममता का अलिखित संविधान लागू हो गया है?'

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