भारतीय सेना का मुख्यालय साउथ ब्लॉक से दिल्ली कैंट शिफ्ट होगा. इस तरह भारतीय सेना को अपना नया हेडक्वार्टर मिल जाएगा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह नई बिल्डिंग का भूमि पूजन करेंगे. इसे सेना भवन के नाम से जाना जाएगा. सेना भवन 39 एकड़ जमीन पर बनकर तैयार होगा.
एतिहासिक रायसीना हिल्स से भारतीय सेना का हेडक्वार्टर शिफ्ट होगा. समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि इसके लिए नया सेना भवन तैयार होगा. सेना भवन दिल्ली कैंट इलाके में 39 एकड़ जमीन पर बनेगा. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को एक समारोह में इसका भूमि पूजन करेंगे. अगले पांच साल में यह बनकर तैयार हो जाएगा. बता दें कि साउथ ब्लॉक ऐतिहासिक रायसीना हिल्स कॉम्पलेक्स का हिस्सा है, जो अब राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है. इसका निर्माण 2012 में हुआ था.
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सरकार के सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना के तहत सेना मुख्यालय बदलने के बाद लुटियंस जोन में स्थित नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को म्यूजियम में तब्दील कर दिया जाएगा. यह जानकारी केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय के अधिकारियों ने जनवरी में दी थी. म्यूजियम बनने के बाद लोग यहां घूमने आ सकेंगे.
नार्थ और साउथ ब्लॉक में हैं ये कार्यालय
वर्तमान में साउथ ब्लॉक में प्रधानमंत्री का कार्यालय है. इसके अलावा रक्षा और विदेश मंत्रालय का ऑफिस भी साउथ ब्लॉक में है. जबकि नार्थ ब्लॉक में गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय का ऑफिस है. इन दोनों ब्लॉक में भारत सरकार के महत्वपूर्ण कार्यालय होने के कारण यहां की सुरक्षा व्यवस्था हमेशा चाक चौबंद रहती है.
ऐसा है सेंट्रल विस्टा का प्लान?
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र के सत्ता गलियारों का चेहरा बदलने के लिए सरकार की ओर से बड़े पैमाने पर ढांचागत बदलाव किया जाएगा. सेंट्रल विस्टा में प्रस्तावित बदलावों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक पूरा किया जाएगा. सेंट्रल विस्टा को ठीक उसी तर्ज पर बनाया जाएगा जैसे कि वॉशिंगटन डीसी जैसी विश्व की अन्य बड़ी राजधानियों में बनाया गया है. मंत्रालय की योजना 2025 तक निर्माण कार्य पूरा करने की है.
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संसद के कई सदस्यों से सरकार को प्रतिवेदन मिले थे जिनमें इच्छा जताई गई थी कि उन्हें संसद इमारत में अलग से कक्ष दिए जाएं, जिससे कि सरकारी कामकाज से जुड़ी प्रतिबद्धताओं को पूरा किया जा सके. एक सामान्य समस्या थी कि कई सारे सासंदों के ऐसे आग्रहों को मौजूदा संसद भवन में पूरा नहीं किया जा सकता था. साथ ही नॉर्थ और साउथ ब्लॉक के दफ्तर अब ढांचागत मजबूत नहीं रहे, साथ ही वो भूकंपरोधी भी नहीं हैं.