आधुनिक ओलंपिक के 112 साल पुराने इतिहास में पहली बार भारत की झोली में किसी व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक आया है. अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर रायफल शूटिंग स्पर्धा में स्वर्ण अपने नाम कर पूरे देश का मान बढ़ाया है.
बिंद्रा की जीत के बाद जब पदक मिलने की बारी आई तो 28 साल बाद ओलंपिक खेलों के दरम्यान भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन गूंज रहा था. बीजिंग के इंडोर स्टेडियम में आन-बान और शान का प्रतीक भारतीय तिरंगा आसमान की ऊंचाई को छूने के लिए बुलंदी के साथ बढ़ता जा रहा था. पदक लेने के बाद पोडियम के सबसे ऊंचे पायदान पर फक्र के साथ खड़े अभिनव की आंखे बड़े ही गौर से इन अदभुत लम्हों को निहार रही थीं. अभिनव ही क्या पूरा भारत सुबह-सुबह इतिहास बनते इन लम्हों को देख अपनी आंखों पर विश्वास करने की कोशिश कर रहा था.
भारत के लिए ओलंपिक खेलों में 11 अगस्त की तारीख अभिनव के नाम ही दर्ज होगी. यह दिन गवाह होगा उस सपने के सच होने का जिसके साकार होने का इंतज़ार व्यक्तिगत स्पर्धा में एक सदी पुराना था.
चंडीगढ़ में 28 सिंतबर 1983 में जन्मे अभिनव ने चंडीगढ़ से ही अपने शूटिंग करियर की शुरूआत की थी. अभिनव के नाम सबसे कम उम्र में भारत की ओर से ओलंपिक में भाग लेने का भी कीर्तिमान है.
2001 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया और 2001-02 के लिए राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भी मिला. चंडीगढ़ से चीन तक के अपने सफर में अभिनव ने साल दर साल कई कीर्तिमान अपने नाम दर्ज किए लेकिन ओलंपिक में स्वर्ण का तमगा हासिल करने का अभिनव का करिश्मा इतिहास के पन्नों में एक अलग कहानी लिख गया.