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CBI ने तलवार दंपति के लिए मांगी फांसी

गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत आरुषि-हेमराज हत्‍याकांड में आज सजा का ऐलान करेगी. सजा पर बहस पूरी हो चुकी है. इससे पहले सोमवार को कोर्ट ने इस मामले में आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार को आरुषि और हेमराज की हत्‍या का कसूरवार माना.

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राजेश और नूपुर तलवार
राजेश और नूपुर तलवार

गाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत आरुषि-हेमराज हत्‍याकांड में आज सजा का ऐलान करेगी. सजा पर बहस पूरी हो चुकी  है और सीबीआई के वकील ने केस को रेयरेस्‍ट ऑफ रेयर बताकर दोनों के लिए सजा-ए-मौत मांगी है.  तलवार दंपति की सजा पर बहस अब पूरी हो चुकी है. साढ़े चार बजे कोर्ट दोनों के लिए सजा का ऐलान करेगी. दोनों 1 बजकर 55 मिनट पर कोर्ट पहुंच गए थे और सजा पर बहस 2 बजकर 10 मिनट पर शुरू हो गई थी.

वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि तलवार दंपति का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है, इसलिए यह केस रेयर ऑफ द रेयरस्‍ट की श्रेणी में नहीं आता है. इसी के साथ वकीन ने दोषियों के लिए रहम की अपील की है.

इससे पहले सोमवार को कोर्ट ने इस मामले में आरुषि के माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार को आरुषि और हेमराज की हत्‍या का कसूरवार माना.

उधर, डासना जेल में बंद नूपुर तलवार की तबीयत सोमवार सुबह बिगड़ गई थी. उनका ब्‍लड प्रेशर अचनाक बहुत बढ़ गया था और उन्‍हें एसीडिटी की भी दिक्‍कत हुई. दरअसल, सोमवार रात नूपुर ने जेल में खाना नहीं खाया था, जिसके बाद जेल सुप्रीटेंडेंट ने उन्‍हें खाना खाने  के लिए कहा और कहा कि अगर उन्‍होंने बात नहीं मानी तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद नूपुर ने खाना तो खाया, लेकिन वह रातभर सोई नहीं और बीच-बीच में उठती रहीं. डॉक्‍टर का कहना है कि यही वजह है कि उनका बीपी बढ़ने के साथ ही उन्‍हें एसीडिटी की परेशानी भी हो गई. उनका ब्‍लड प्रेशर 160 हो गया था. डॉक्‍टरों के मुताबिक फिलहाल, नूपुर की सेहत में सुधार है.

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तलवार दंपति की सजा पर मंगलवार को दोपहर दो बजे से बहस शुरू होगी, जो तीन बजे तक पूरी हो जाएगी. जाने क्‍या हुआ अब तक आरुषि मर्डर केस में...

आरुषि को मम्‍मी-पापा ने मारा
अदालत ने दोनों को आईपीसी की धारा 302 (हत्‍या ) के तहत दोषी ठहराया है. इसके अलावा राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203 (गलत एफआईआर दर्ज कराने के दोषी), 201 (सबूत मिटाना)और 34 (कॉमन इंटेंशन) के तहत दोषी माना है. वहीं, नूपुर को 302 के अलावा धारा 201 और 34 के तहत दोषी ठहराया है.

फैसला सुन रो पड़े राजेश और नूपुर तलवार
कोर्ट का फैसला सुनते ही राजेश और नूपुर तलवार रो पड़े. यही नहीं कोर्ट में मौजूद उनके परिवार वालों की आंखों से भी आंसू छलक आए. फैसले के बाद दोनों दोषियों को गिरफ्तार कर डासना जेल भेज दिया गया. जेल में उन्‍हें कंबल, मग और खाने का बर्तन मुहैया कराए गए हैं. इसके साथ ही दोनों को अलग-अलग सेल में रखा गया है.

हमने आरुषि को नहीं मारा: तलवार दंपति
फैसले के बाद राजेश और नूपुर तलवार की ओर से मीडिया में एक बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि वे फैसले से नाखुश हैं. बयान के मुताबिक, 'हम फैसले से बहुत दुखी हैं. हमें एक ऐसे जुर्म के लिए जिम्‍मेदार ठहराया गया है, जो हमने किया ही नहीं. लेकिन हम हार नहीं मानेंगे और न्‍याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे.'

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'सीबीआई की गरिमा बचाने की कोशिश'
तलवार दंपति की एक रिश्‍तेदार ने फैसले के बाद कहा, 'ट्रायल की जरूरत ही क्‍या थी. लोगों को पहले से पता था क्‍या होने वाला है. सीबीआई की गरिमा को बचाने के लिए सच को झूठ की परतों में दबा दिया गया.' उधर, बचाव पक्ष के वकील ने इस फैसले को गलत माना है. उन्‍होंने कहा कि ये गैरकानूनी है. तलवार दंपति की वकील रेबेका जॉन ने कहा है कि वे फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे.

रिश्‍तों के कत्‍ल की कहानी
संभव नहीं है कि आरुषि का दिल मां की धड़कन के साथ ना धड़कता हो. अंसभव है कि नूपुर तलवार की धड़कन बेटी के साथ ना जुड़ी हो. 14 बरस जिन हाथों ने गीली मिट्टी की तरह अपनी बच्ची को गूथा हो, उसे जिंदगी जीने की एक शक्ल दी, उसी की हत्या. अदालत का फैसला तो ऐलान होने के साथ ही संबंधों के दायरे में रुक सा गया.

मम्मी-पापा ने हत्या की. आरुषि की हत्या के बाद मम्मी-पापा को लेकर साढे पांच बरस लगातार जिस जख्म को समूचा समाज कुरेदता रहा साढे पांच बरस बाद अदालत ने उसी जख्म को बीमारी करार दिया. तो मम्मी-पापा के लिए सजा शुरू हुई या फिर सजा खत्म हुई. सजा का ऐलान मंगलवार को होगा, लेकिन इससे बड़ी सजा हो क्या सकती है, जो फैसला अदालत ने दिया. इसलिए अब बदलते समाज के आईने में रिश्‍तों को नए सिरे से खोजना जरूरी है.

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जिस समाज, जिस परिवेश और जिस जीवन को आरुषि के मम्मी-पापा जी रही थे वह मध्यम वर्ग की चकाचौंध की चाहत और खुले जीवन की आकांक्षा समेटे हुए है. महानगरों के लिए खुलापन जिंदगी जीने का आक्सीजन बन चुका है और यहीं से शुरू होता है कच्ची-मीठी सरीखा आरुषि का जीवन और उसे उसी समाज, उसी परिवेश के अनुकुल बनाने में लगे मम्मी-पापा.

तो क्या मम्मी-पापा परंपरा और आधुनिकता के बीच जा फंसे जहां खुलापन और चकाचौंध अपनी हद में सुकून देता है, लेकिन बेटी को कटघरे में खड़ा जानता है और खुद किसी भी हद तक जाने को तैयार. असल मुश्किल यही है और शायद बीते साढे पांच बरस तक पुलिस, सीबीआई से लेकर समाज के सामने जिरह करते मम्मी-पापा का दर्द भी यही है और सुकुन भी यही कि बेटी के हत्यारे मम्मी-पापा हैं.

यह ऐसा फैसला है, जिसने देश की सबसे बडी मर्डर मिस्ट्री को बदलते भारत की उस नई शक्ल जो जोड़ दिया है, जो अभी तक रिश्‍तों की डोर थाम कर जिंदगी जीने का मुखौटा पहने रहता था. कभी ऑनर किलिंग कहकर सीना तानने से नहीं कतराता तो कभी आवारा पूंजी को ही जिंदगी का सच मान चकाचौंध की उड़ान भरने से नही घबराता. तो इस नए भारत में आपका स्वागत है.

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गौरतलब है कि गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने आरुषि तलवार और हेमराज की बहुचर्चित मर्डर मिस्‍ट्री पर अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने इस मामले के मुख्‍य आरोपी और आरुषि के माता-पिता नूपुर तलवार और राजेश तलवार को दोषी ठहराया है.

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