खेल मंत्रालय के दिशा निर्देशों की अवहेलना करके हाकी इंडिया के अध्यक्ष पद के चुनाव जीतने के तीन महीने बाद विद्या स्टोक्स ने बुधवार को तुरंत प्रभाव पद से इस्तीफा दे दिया.
अगस्त में हुए चुनाव में भारतीय हाकी टीम के पूर्व कप्तान परगट सिंह को 41-21 से पछाड़ने वाली स्टोक्स की उम्मीदवारी की काफी आलोचना हुई थी. खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय महासंघों के पदाधिकारियों के लिये उम्र की सीमा 70 वर्ष तय कर दी थी जबकि हिमाचल हाकी की प्रतिनिधि कांग्रेस की इस कद्दावर नेता की उम्र 83 वर्ष थी.
स्टोक्स ने पद छोड़ने का फैसला अचानक नहीं लिया बल्कि इस साल फरवरी में हिमाचल प्रदेश के शिलारू में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने केंद्रीय खेलमंत्री से यह वादा किया था. इस वयोवृद्ध खेल प्रशासक ने उस समय कहा था कि राष्ट्रमंडल खेलों के समापन के बाद वह अध्यक्ष पद छोड़ेंगी.
इस बारे में संपर्क करने पर स्टोक्स ने हालांकि कहा कि वह अपने राजनीतिक कैरियर में इतनी व्यस्त हैं कि उनके पास हाकी के लिये समय नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मुझे राजनीतिक कैरियर के कारण काफी यात्रायें करनी पड़ती है. मेरे पास समय नहीं रहता और इसी वजह से मैने इस्तीफा देने का फैसला किया.’ {mospagebreak}
लंबे समय तक पूर्व भारतीय महिला हाकी महासंघ की अध्यक्ष रही स्टोक्स ने हाकी इंडिया के महासचिव नरिंदर बत्रा को इस्तीफा सौंपकर अगली व्यवस्था होने तक अध्यक्ष की सारी जिम्मेदारियां निभाने का अतिरिक्त प्रभार दिया है. हाकी इंडिया की विज्ञप्ति के अनुसार कार्यकारी बोर्ड अब अगली व्यवस्था की घोषणा करेगा जिसे आम परिषद मंजूरी देगी. हैरानी की बात यह है कि खेलमंत्री एम एस गिल को किये गए स्टोक्स के वादे को चुनाव के समय सार्वजनिक नहीं किया गया.
उनके इस्तीफे से अब युवा प्रशासकों के जिम्मेदारी संभालने का मार्ग प्रशस्त हुआ है जिससे खेल मंत्रालय संतुष्ट होगा जिसने उम्र संबंधी दिशा निर्देशों की अवहेलना के कारण ही हाकी इंडिया को अमान्य किया था.
उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह ही हाकी इंडिया को 12 नवंबर से चीन में होने वाले एशियाई खेलों के लिये महिला और पुरुष टीमों के चयन की अनुमति दी थी. न्यायालय ने हाकी इंडिया, भारतीय हाकी महासंघ और भारतीय ओलंपिक संघ को अपने मतभेद दूर करके देश में हाकी के संचालन के लिये सर्वसम्मति से रास्ता निकालने के निर्देश भी दिये थे.