शिवसेना ने कहा कि भारत का नागरिक होने के नाते बाबा रामदेव को राजनीति में शामिल होने का पूरा अधिकार है. हालांकि पार्टी ने कहा कि वह अनशन को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की समर्थक नहीं है.
पार्टी की यह टिप्पणी शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में आई है. माना जा रहा है कि यह कांग्रेस नेताओं की कल की इस टिप्पणी का जवाब है कि बाबा रामदेव को योग तक ही सीमित रहना चाहिए.
संपादकीय में कहा गया है, ‘अगर एक विदेशी, सोनिया गांधी कांग्रेस नेताओं की ‘राजनीतिक गॉडमदर’ बन सकती हैं, तो रामदेव, इस देश का नागरिक होने के नाते राजनीति में शामिल क्यों नहीं हो सकते.’ हालांकि अखबार ने यह भी कहा है कि भ्रष्टाचार अनशन और ‘शंख बजाने’ से नहीं खत्म हो सकता.
अखबार लिखता है, ‘इसका समाधान भ्रष्ट सरकार को उखाड़ फेंकना और उसकी बजाए साफ छवि वाली, पारदर्शी और जनता की सरकार को लाना है.’ इसमें संप्रग सरकार के इस तर्क की भी आलोचना की गई है कि रामदेव के पास रामलीला मैदान में अनशन की अनुमति नहीं थी.
अखबार ने कहा है, ‘अगर ऐसा था, तो संप्रग सरकार के वरिष्ठ मंत्री बाबा को अनशन नहीं करने के लिए मनाने क्यों गए थे.’ संपादकीय में यह भी कहा गया है कि रामदेव स्वयं भी इस पूरे घटनाक्रम के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि उन्हें अन्ना हजारे के सफल अनशन के कुछ ही सप्ताह बाद दूसरा अनशन शुरू करने की जरूरत नहीं थी.