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मेल टुडे के एडिटर भारत भूषण की राय

जैसा कि उम्‍मीद थी, मनमोहन मंत्रिमंडल में यह फेरबदल एक फौरी कवायद बनकर रह गया. स्‍पष्‍ट है कि कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को कोई बड़ा बदलाव करने की छूट नहीं दी.

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भारत भूषण
भारत भूषण

जैसा कि उम्‍मीद थी, मनमोहन मंत्रिमंडल में यह फेरबदल एक फौरी कवायद बनकर रह गया. स्‍पष्‍ट है कि कांग्रेस ने मनमोहन सिंह को कोई बड़ा बदलाव करने की छूट नहीं दी.

ऐसे समय में जब कि पार्टी भ्रष्‍टाचार के मामले में बुरी तरह से घिरी है और न्‍यायपालिका की आलोचना का लगातार शिकार हो रही है, कांग्रेस संभवत: सरकार में कोई बड़ा फेरबदल नहीं करना चाहती थी. इस फेरबदल में जो दो सबसे महत्‍वपूर्ण बदलाव हुए हैं वो हैं कानून मंत्रलाय तथा पर्यावरण मंत्रालय के सर्वोच्‍च पदों पर बदलाव.

स्‍पष्‍ट है कि मनमोहन सिंह को एक ऐसे कानून मंत्री की दरकारथी जो कि टेलीकॉम घोटाले, काले धन के मुद्दे पर न्‍यायपालिका के साथ टकराव को कम कर सके और विवादास्‍पद लोकपाल बिल तथा न्‍यायिक जवाबदेही विधेयक को उनके अंजाम तक पहुंचा सके. साथ ही एक नए लॉ कमिशन का गठन कर सके. पूर्व कानून मंत्री वीरप्‍पा मोइली उम्‍मीदों पर खरे नहीं उतर सके. हालांकि यह तो भविष्‍य ही बताएगा कि नए कानून मंत्री सलमान खुर्शीद मनमोहन सिंह की उम्‍मीदों को किस हद तक पूरा कर पाते हैं.

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पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने भी पर्यावरण मंत्रालय को हमेशा ही सुर्खियों में या कहें कि विवादों में बनाए रखा. हालांकि उन्‍हें तरक्‍की देकर पर्यावरण मंत्रालाय से हटाया गया है और ग्रामीण विकास मंत्रालय का जिम्‍मा सौंपा गया है. उम्‍मीद है कि ग्रामीण विकास मंत्रलाय में रमेश कुछ अच्‍छा काम कर सकेंगे.

मनमोहन सिंह ने हालांकि अक्षम मंत्रियों को कैबिनेट से दूर रखने की कोशिश की है लेकिन अब भी कुछ ऐसे मंत्री हैं जो कैबिनेट पदों पर बने हुए हैं. उदाहरण के लिए तृणमूल कांग्रेस के नेता और रेल राज्‍य मंत्री मुकुल राय ने रेल दुर्घटना स्‍थल का दौरा करने के प्रधानमंत्री के निर्देश की अवहेलना की थी और उन्‍हें बाहर का रास्‍ता दिखा दिया जाना चाहिए था. लेकिन उन्‍हें केवल रेल मंत्रालय से हटाकर जहाजरानी मंत्रालय में राज्‍य मंत्री रहने दिया गया है.

इस मंत्रिमंडल में कॉर्पोरेट लिंक के साथ कुछ युवा चेहरों को भी शामिल किया गया है. अब देखना यह है कि ये कुछ बदलाव लाएंगे या फिर अपने संरक्षकों के हितों को ही आगे बढ़ाने का काम करेंगे, ये तो आने वाला समय ही बताएगा.

कुल मिलाकर इस फेरबदल से कोई बड़ा परिवर्तन होता प्रतीत नहीं होता. ऐसा लगता है कि फेरबदल का उद्देश्‍य कुछ मंत्रियों से किनारा करना और काम ना करने वाले मंत्रियों से छुटकारा पाना था लेकिन दबाव की वजह से ऐसा हो न सका जबकि कुछ खाली जगहों को भरा जा सकता था और कुछ और लोगों को मौ‍का दिया जा सकता था.

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