भ्रष्टाचार के आरोपों के घिरे कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सौमित्र सेन के खिलाफ लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव नहीं लाया जाएगा. यह जानकारी शीर्ष सरकारी सूत्र ने सोमवार को दी.
शनिवार को न्यायाधीश सेन के इस्तीफे के बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थीं कि उनके खिलाफ लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव स्थगित किया जा सकता है. लोकसभा के सोमवार के कामकाज में हालांकि इसे शामिल किया गया था.
सूत्रों के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सोमवार को मंत्रियों तथा विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से न्यायाधीश सेन द्वारा राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील को भेजे गए इस्तीफे के बारे में चर्चा की.
इसी के आधार पर यह निर्णय लिया गया कि न्यायाधीश सेन के खिलाफ लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव नहीं लाया जाएगा. न्यायाधीश सेन के इस्तीफे के बाद सरकार और राजनीतिक दलों के बहुमत में इस बात को लेकर सहमति थी कि लोकसभा में अब उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाना व्यर्थ है.
कुछ राजनीतिक दलों ने हालांकि सदन को अपनी कार्यवाही जारी रखने के लिए कहा था. राज्यसभा में पहले ही उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित हो चुकी है. प्रस्ताव के पक्ष में 189 वोट पड़े, जबकि केवल 16 मत विपक्ष में पड़े.
वह पहले न्यायाधीश हैं, जिनके खिलाफ संसद के किसी भी सदन में महाभियोग प्रस्ताव पारित हुआ है. इससे पहले 1993 में पहली बार सर्वोच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायमूर्ति वी. रामास्वामी के खिलाफ ऐसा ही प्रस्ताव लाने का प्रयास हुआ था, लेकिन तब सत्तारूढ़ कांग्रेस के सदस्यों के लोकसभा से अनुपस्थित रहने के कारण यह प्रस्ताव गिर गया था.