पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भटटाचार्य के साथ ‘पत्र युद्ध’ जारी रखते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने राज्य में राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्या को खतरे की घंटी बताते हुए कहा है कि इस हिंसा से साफ पता चलता है कि राज्य के कुछ हिस्सों में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है.
चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने पूर्व के पत्र में ‘हरमद (किराये पर हत्या करने वाले)’ शब्द का इस्तेमाल किया था क्योंकि मीडिया में इसका व्यापक इस्तेमाल हुआ है. उन्होंने कहा कि यदि बंगाल के मुख्यमंत्री कोई अन्य शब्द सुझाते हैं तो वह उसका इस्तेमाल करेंगे. चिदंबरम के पिछले सप्ताह के पत्र में हरमद का इस्तेमाल किये जाने पर बुद्धदेव ने कड़ी आपत्ति की थी.
बुद्धदेव का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस के लोग वाम दलों के कैडरों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं. बुद्धदेव को गुरुवार को भेजे एक पत्र में चिदंबरम ने कहा कि राज्य में हिंसा को देखते हुए कोई खुशगवार हालात नहीं हैं. उन्होंने 28 दिसंबर के पत्र के जवाब में बुद्धदेव को दो पत्र भेजे थे. दोनों ही पत्र फैक्स और स्पीड पोस्ट से भेजे गये थे. {mospagebreak}
उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा कि माकपा के मारे गये कार्यकर्ताओं के बारे में ‘आपने आंकड़ा 69 और घायलों के बारे में 723 बताया है जबकि हमारी सूचना के मुताबिक यह संख्या क्रमश: 65 और 773 है. आंकडों में ज्यादा फर्क नहीं है. वस्तुत: मारे गये और घायल हुए लोगों की संख्या के बारे में सहमति है. चिदंबरम ने कहा कि यदि माकपा के मारे गये कार्यकर्ताओं के बारे में हमारे आंकडे सही हैं तो तृणमूल और कांग्रेस के मारे गये और घायल हुए लोगों के बारे में भी हमारे आंकडों पर संदेह की कोई वजह नहीं है.
उन्होंने कहा कि ये आंकडे एक ही ढंग से और एक ही स्रोत से एकत्र किये गये हैं. कुल मिलाकर आंकडे खतरे की घंटी बजा रहे हैं और इसी वजह से हम कहना चाहते हैं कि ये आंकडे पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था भंग होने का संकेत करते हैं.
गृह मंत्री ने बुद्धदेव के इस नजरिये से सहमति जतायी कि भाकपा-माओवादी की पश्चिम बंगाल के तीन जिलों में काफी अधिक उपस्थिति है और अब चुनौती यह है कि प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर उन्हें कैसे रोका जाए. इसी वजह से केन्द्र सरकार ने ‘आपके आग्रह पर केन्द्रीय बल तैनात कर पूरी मदद मुहैया करायी है.’ {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘आपके पत्र में जिस सवाल का जवाब नहीं आ सका है, वह है कि यदि सशस्त्र कैडर खुद ही कानून व्यवस्था कायम करने में लग गये तो सुरक्षाबलों की भूमिका क्या होगी, विशेषकर केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों की, जिनकी तैनाती राज्य सरकार के आग्रह पर की गयी है.’ चिदंबरम ने मुख्यमंत्री को पूर्व में दिये गये उनके आश्वासनों की याद दिलायी कि वह सशस्त्र कैडरों को नियंत्रित करने के लिए कार्रवाई करेंगे. ‘मैं कहना चाहूंगा कि यह बात जरूरी है कि सशस्त्र कैडरों को निहत्था किया जाए.’
हरमद शब्द के मीडिया और कई राजनीतिक दलों द्वारा कथित तौर पर इस्तेमाल किये जाने का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने कहा कि उनके हिसाब से यह शब्द आपत्तिजनक नहीं है. ‘हमें अपने पत्र की विषयवस्तु पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए.’ चिदंबरम ने बुद्धदेव को इस संवेदनशील मसले पर चर्चा के लिए दिल्ली भी आमंत्रित किया है.