एक लड़की से बदला लेने के इरादे से उसकी छोटी बहन को अगवा कर चलती कार में उससे गैंगरेप के जुर्म में दिल्ली की एक अदालत ने दो युवकों को 10 साल कैद की सजा सुनाई है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने अपहरण और बलात्कार के जुर्म में 24 वर्षीय मनोज को उम्र कैद और उसके साथी अमित को दस साल की कैद की सजा सुनाई है. अदालत ने इन पर क्रमश: साठ हजार और बीस हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
इन दोनों ने एक लड़की को सबक सिखाने के इरादे से उसकी 12 साल की बहन का अपहरण कर उससे सामूहिक बलात्कार किया था. अदालत ने कहा कि आरोपियों को जब पीड़ित की बहन नहीं मिली तो मनोज ने उसकी 12 साल की नाबालिग बहन को ही अपना निशाना बना डाला.
अदालत ने कहा कि इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है कि दो अन्य महिलाओं को सबक सिखाने के लिये ही इस नाबालिग लड़की से बलात्कार किया गया और इसलिए मनोज के साथ किसी प्रकार की नरमी नहीं बरती जा सकती.
अदालत ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि मनोज एक महिला के साथ, जो नाबालिग लड़की की बहन की सहेली थी, सहजीवन की जिंदगी गुजार रहा था, लेकिन कुछ विवादों के कारण यह युगल अक्सर पुलिस के पास पहुंचने लगा था.
अदालत ने कहा कि पुलिस के सामने भी पीड़ित लड़की की बहन अपनी सहेली का ही पक्ष लेती थी और शायद इसी वजह से मनोज ने उसे सबक सिखाने का निश्चय किया. रिकॉर्ड से यह भी पता चलता है कि नाबालिग लड़की पिछले साल छह फरवरी को जब बाजार जा रही थी तो उसे रास्ते में मनोज मिला था. मनोज ने पहले उसकी बहन के बारे में पूछा, लेकिन कुछ समय बाद वह उसे ही लेकर चला गया.
अभियोजन के मुताबिक लड़की ने कहा कि उसकी बहन घर पर है और वह उससे वहां मिल सकता है. लेकिन इसी बीच दूसरा आरोपी अमित कार से वहां पहुंचा और मनोज ने इस लड़की को जबरन कार में डाल लिया. पुलिस के अनुसार दोनों अभियुक्तों ने नाबालिग लड़की को डराया धमकाया और इसके बाद मनोज ने सूनसान स्थान पर कार में ही उससे बलात्कार किया. इसके बाद, अमित ने भी उससे बलात्कार किया और कई जगह घुमाने के बाद मंगोलपुरी इलाके में उसे छोड़ गया.
इस लड़की के घर नहीं लौटने पर परिवार के सदस्यों ने उसे ढूंढ़ना शुरू किया. चूंकि मनोज पुलिस का मुखबिर था, इसलिए उन्होंने पुलिस अधिकारियों से भी संपर्क किया जिन्होंने आरोपी से लड़की को खोजने में मदद करने के लिये कहा.
पुलिस के अनुसार बड़ी बहन ने मोबाइल फोन पर संपर्क किया तो यह लड़की आधी रात को मिली और उसने अपने ठिकाने की जानकारी दी. लड़की ने इस घटना के बारे में परिवार को जानकारी दी और दोनों के नाम बताये. इसके बाद ही पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया था.
अदालत ने दोनों अभियुक्तों की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है. अदालत ने कहा कि मेडिकल और फारेन्सिक साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि उन्होंने लड़की से बलात्कार किया था.
अदालत ने कहा कि चूंकि मनोज पुलिस का मुखबिर था, इसलिए पुलिस ने बेहद हल्के तरीके से इस मामले की जांच की थी. अदालत ने कहा कि पुलिस का मुखबिर होने के कारण मनोज ने अपनी स्थिति का अनुचित फायदा उठाया और उसने सोच लिया कि वह कानून से ऊपर है.