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भारतीयों का इन 10 बातों में नहीं है कोई तोड़

वक्त की सुइयां कितनी ही करवट ले लें. लेकिन जड़ से भारतीय होने की वजह से हम लोगों की कुछ आदतें आज भी जस की तस हैं. इनमें से कुछ आदतें कई बार तकलीफ देती हैं तो कई बार चेहरे पर हंसी ले आती हैं. दिलचस्प ये है कि ये आदतें हमारी सोसाइटी में सेट हो गई हैं. इनमें से कुछ आदतों को बदलने की सख्त जरूरत है तो कुछ को जस के तस बने रहने में ही सुख है. आगे जानिए हम भारतीयों की ऐसी ही 10 बातें.

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पीके फिल्म में आमिर खान
पीके फिल्म में आमिर खान

वक्त की सुइयां कितनी ही करवट ले लें. लेकिन जड़ से भारतीय होने की वजह से हम लोगों की कुछ आदतें आज भी जस की तस हैं. इनमें से कुछ आदतें कई बार तकलीफ देती हैं तो कई बार चेहरे पर हंसी ले आती हैं. दिलचस्प ये है कि ये आदतें हमारी सोसाइटी में सेट हो गई हैं. इनमें से कुछ आदतों को बदलने की सख्त जरूरत है तो कुछ को जस के तस बने रहने में ही सुख है. आगे जानिए हम भारतीयों की ऐसी ही 10 बातें.

1. सड़क पर मूतना: दीवारों पर हमेशा लिखा देखा है कि देखो गधा पेशाब कर रहा है. लेकिन उस दीवार के पास हमेशा इंसानी 'जल' की नमी पाई जाती है. कभी उस दीवार के पास किसी ने गधे को पेशाब करते नहीं देखा होगा. अर्थात हमारे शहरों, कस्बों में मानो जैसे रिवाज है कि जब लगे तो जगह न देखो बस कर दो. लाख स्वच्छ भारत अभियान के बैनर लगे हों.

2. बेटी की शादी में पिता की झुकी नजर, जुड़े हाथ: बेटी पराया धन होती है. जब तक दिमाग में ये मानसिकता रहेगी, तब तक शादी ब्याहों में लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी बेटी का पिता हाथ जोड़े खड़ा रहता है. न जाने ये ढकियानुसी सभ्यता का कौन सा रिवाज है, जिसमें बेटी के पिता को शादी ब्याहों में नजर झुकाए ही देखा गया है. लेकिन भारत के अलावा दूसरे देशों में बेटी का पिता दूल्हे से ज्यादा सजा और चमकता हुआ दिखता है.

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3. रोतले सीरियल और मां-बहनों की दीवानगी: क्योंकि सास भी कभी बहू थी, लेकिन असली सवाल ये है कि जब सास बहू थी तब भी वो क्या इतने सीरियल देख पाती थी, जितने आज हमारे घरों में मम्मी, भाभी, पत्नी और बहनें देख रही हैं. भारत में सीरियल्स के लिए जितनी दीवानगी है, उतनी कहीं भी नहीं देखने को मिलती है.

4. मानव का नागिन में बदलना: याद कीजिए उस आखिरी बारात को, जिसमें आप गए थे. कम से कम एक शख्स तो ऐसा जरूर मिला होगा, जिसे आपने बैंड की आवाज के बीच खुलेआम नागिन रूप धारण करते देखा होगा. यानी नागिन टोन पर जमीन पर लोटते हुए. कुछ भी कहिए किसी भी शादी में अगर एक नागिन देखने को न मिले, तो शादी के मजे में वो चौकसपना नहीं आता.

5. हमारा नेता कैसा हो: आजाद भारत से लेकर अब तक हुए किसी भी चुनाव को उठाकर देख लीजिए. हर बार नेता अधाधुंध वादे करते हैं. पैरॉशूट उम्मीदवार उतारे जाते हैं. हमारे इलाके में काम करना होता है विधायक, सांसद को. लेकिन हम नेता चुनते हैं वो जो हमारी किसी पार्टी का चेहरा हो. यानी आज भी भारत में योग्य उम्मीदवार चुनने की बजाय हम एक तय मानसिकता के तहत वोट का सही इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.

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6. शादी से पहले लड़की का 'फर्नीचर' बन जाना: शादी के लिए लड़की देखने की परंपरा आज भी भारत में लगभग वैसी ही है, जैसे पहले कभी हुआ करती थी. हालांकि लोगों के नजरिए में काफी बदलाव आया है. लेकिन फिर भी बेटे की शादी के लिए लड़के के घरवाले लड़की को ऐसे देखते हैं, जैसे किसी फर्नीचर को खरीदते वक्त देखा जाता है.

7. थोड़ा साइड होना, सेट होना है: रेल, मेट्रो, बस, शादी या दफ्तर, कोई ऐसी जगह नहीं है जहां भारतीय एडजस्ट करना या करवाने की प्रक्रिया से न गुजरते हों. बैठने की जगह कितने ही लोगों की हो, लेकिन 'भैया जरा एडजस्ट करना' नामक वाक्य का इस्तेमाल कर समाजशास्त्री अपने बैठने का जुगाड़ बना ही लेते हैं.

8. क्रिकेट- ऐसी दीवानगी देखी नहीं: माना कि हमारे देश में सचिन तेंदुलकर हैं, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि हर दूसरा लौंडा या मोहतरमा क्रिकेट के लिए दीवानगी जाहिर करते हुए दिख ही जाती हैं. वाउ, कोहली रॉक्स टाइप. दुनिया के बाकी देशों में भी क्रिकेट खेला जाता है लेकिन क्रिकेट की जीत के लिए 'कथा, हवन कराओ' टाइप मोहब्बत सिर्फ भारत में ही देखी जाती है. सही भी है, अब हम आजाद हैं.

9. मुझे अपनी शरण में ले लो भगवान: एग्जाम शुरू हुए नहीं कि किताबों के करीब रहने की बजाय हमारे देश में अपनी अपनी सहूलियत और आस्था के हिसाब से भगवान की शरण में चले जाते हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ फेसबुक पर लिखने वाले लोग भी भगवान को प्रसाद की रिश्वत का वादा करने से नहीं चूकते हैं.

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10. MRP मतलब मारपीट फॉर रुपये पैसे: खरीदते या बेचते वक्त MRP की चेपी उखाड़ने में जिस तेजी से भारतीय लोग फुर्ती दिखाते हैं. उस तेजी से तो कभी भी बुलेट ट्रेन में नहीं चल सकती. मोल-भाव करने में हम भारतीयों का कोई तोड़ नहीं है. कम से कम खर्चे में बड़े बड़े काम करने की तमन्ना भारतीय के मन में सबसे ज्यादा फूटती है. मंगलयान इसका ताजा और राष्ट्रीय उदाहरण है.

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