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आम आदमी के लिए लड़ता है इंडिया का एंग्रीमैन परमजीत पम्मा

चाहे प्याज के बढ़ते दाम हों या पेट्रोल की कीमतें, हाई कट-ऑफ की दिक्कत हो या टीवी चैनलों की फूहड़ता, इंडिया का ये एंग्रीमैनहर अन्याय के खिलाफ लड़ता है. इंडिया के सबसे गुस्से वाले इस आदमी का नाम है 'परमजीत पम्मा'.

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परमजीत पम्मा
परमजीत पम्मा

वह मसीहा है लेकिन अंधेरी रातों और सुनसान राहों में नहीं निकलता. लेकिन कोई भी बात तो आम आदमी को परेशान करती हो, उसके खिलाफ आवाज उठाने और लड़ने के लिए वह हमेशा तैयार रहता है. चाहे प्याज के बढ़ते दाम हों या पेट्रोल की कीमतें, हाई कट-ऑफ की दिक्कत हो या टीवी चैनलों की फूहड़ता, इंडिया का ये एंग्रीमैन हर अन्याय के खिलाफ लड़ता है. इंडिया के सबसे गुस्से वाले इस आदमी का नाम है 'परमजीत पम्मा'.

44 वर्षीय पम्मा ने 16 साल की उम्र में पहली बार किसी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था. दो हफ्ते पहले तक पम्मा को कोई नहीं जानता था. एक वेबसाइट पर परमजीत को मानवता के इतिहास में सबसे गुस्सैल आदमी के नाम से नवाजा और फिर बीबीसी ने उनसे संपर्क किया.

पाकिस्तान की करतूतों से खफा
नेशनल अकाली दल के संस्थापक परमजीत पम्मा ने बताया कि उनके संगठन की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है. हर वो आदमी, जो अधिकारों की लड़ाई लड़ना चाहता है, संगठन में शामिल हो सकता है. पाकिस्तान के झंडे जला चुके पम्मा कहते हैं कि उन्हें पाकिस्तान से नहीं बल्कि उसकी नापाक हरकतों से समस्या है, जो एक तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाता है और दूसरी तरफ सीमा पर आक्रमण करता है.

पगड़ी पर प्रतिबंध का विरोध
परमजीत के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 9 रुपये की दर से प्याज और 20 रुपये की दर से दालें बेची हैं, जब ये बाजार में 60 रुपये और 80 रुपये की दर से मिल रहे थे. पम्मा ने ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों के खिलाफ नस्ली हमलों के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन किया था. 2012 में एक अमेरिकी गुरुद्वारे में हुई गोलीबारी का विरोध किया था. वह फ्रांस में पगड़ी पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ भी मुखर हुए. फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय ने पम्मा की चिट्ठी का जवाब भी दिया कि सिखों को यूनिवर्सिटी जैसी जगहों और दूसरे सार्वजनिक जगहों पर पगड़ी पहनने से नहीं रोका गया है.

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आदमी के हक की आवाज
पम्मा बताते हैं, ' यहां तक कि ब्रिटेन की महारानी के ऑफिस ने भी मुझे वहां सिखों के अधिकारों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है. मैंने दुनिया भर में मौजूद भारतीयों के लिए विरोध प्रदर्शन किया है.' पम्मा के अनुसार सड़कों पर उतरे बिना कोई बदलाव नहीं हो सकता. अधिकारी सिर्फ तारीख देते हैं, बात कोई नहीं सुनता. उन्हें नहीं पता कि उनका अगला कदम क्या होगा, लेकिन आम आदमी के हक की आवाज वो हमेशा उठाते रहेंगे.

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