इंसान यूं तो सबसे खूबसूरत हंसते हुए ही लगता है, लेकिन क्या आपने कभी ये सोचने की जहमत उठाई है कि यह हंसी किस कीमत पर होनी चाहिए. हम अक्सर लोगों पर हंसते हैं उनका मजाक उड़ाते हैं. मजा तो तब है, जब आप किसी पर नहीं, किसी के साथ हंसे. जानिए किस किस्म की हंसी से बचना चाहिए भारतीयों को.
भारतीयों का हास्यबोध लिंग केंद्रित भी खूब होता है. हम किसी किन्नर या समलैंगिक का उपहास उड़ाने का कोई मौका नहीं चूकते. जबकि इनके संघर्ष की कहानी सुनकर आपका सर इनके लिए सम्मान में उठ जाना चाहिए. तस्वीर में लक्ष्मी त्रिपाठी दिख रही हैं. किन्नरों को तीसरे लिंग के तौर पर दर्जा मिलने के ऐतिहासिक फैसले में इनका बहुत महत्वपूर्ण योगदान है.
संविधान कहता है कि देश में कोई भी कही भी जाकर नौकरी या पढ़ाई कर सकता है. लेकिन लगता है कई लोगों को इससे काफी तकलीफ है. छोटे राज्यों से आए लोगों को अक्सर महानगरों में मजाक का पात्र बनना पड़ता है. कई बार तो हिंसा का भी सामना करना पड़ता है.
विदेशों में भारतीयों के साथ नस्लीय हिंसा की घटना से हमारा खून खौल जाता है. ये खून तब भी खौलना चाहिए जब दिल्ली में किसी उत्तर-पूर्व के छात्र के साथ ज्यादती हो रही हो. किसी पर सिर्फ उसकी नस्लीय पहचान के कारण हंसना हिंसा ही तो है.
गरीब अनंत गरीबी कथा अनंता. आर्थिक हैसियत के आधार पर हमारा व्यवहार बदलता है. आप उसी पर हंसने का साहस करते हैं जो किसी स्तर पर आपसे कमजोर हो. कमजोर आर्थिक हैसियत वाले लोगों के प्रति पूर्वाग्रह रखना उनपर चुटकुले बनाना किसी लिहाज से बेहतर हास्य नहीं है.
भारत एक सेलेब्रेटी प्रधान देश है. यहां व्यक्तियों पर चर्चा होती है मुद्दों पर नहीं. और अगर वह व्यक्ति सितारा हो तो फिर क्या कहने. इंडियन क्रिकेट टीम के धाकड़ बल्लेबाज विराट कोहली की असफलता पर उनके निजी जीवन की बखिया उधड़ेना और अनुष्का पर हमलावर हो जाना आपकी क्रियेटीविटी तो हो सकती है अच्छाई नहीं.
कपिल शर्मा का शो कॉमेडी नाइट्स विद कपिल में मशहूर कैरेक्टर पलक सबको खासी पसंद है. इस शो में हंसते हुए कभी आपने सोचा है कि ज्यादातर जोक्स पलक के मोटापे पर ही क्यों होते हैं. यकीन जानिए किसी मोटे आदमी को इस किस्म के उपहास से भारी पीड़ा होती है. ऐसा भी क्या हंसना जिससे किसी को तकलीफ हो.
हमारे प्यारे अंग्रेज तो सालों पहले चले गए लेकिन अंग्रेजी से हमारा प्यार बना हुआ है. दूसरे की गलत अंग्रेजी सुनते ही हंसने का फैशन भी देश में अब पुराना हो चला है. जनाब भाषा जानना अच्छी बात है लेकिन सामने वाली की गलती पर हंसने से बेहतर बात तो यह होगी न कि उसकी गलती सुधारी जाए.
हम काले हैं तो क्या हुआ दिलवाले हैं, कभी सोचा है आपने मजाकिया सा लगने वाला यह डायलॉग कितनी आत्मपीड़ा से निकला होगा. भला शरीर के रंग का दिल की शोखी से क्या लेनादेना. सदियों तक यूरोपीय हमलावर हमें काला कहकर हमारा मजाक उड़ाते रहे कही आप भी उनकी जमात में तो शामिल नहीं हो रहे.
आलिया भट्ट जोक्स आज भी मोबाइल में दाखिल होते रहते हैं. भारत में औरतों को लेकर कुछ बेहद खास और जिद्दी किस्म के पूर्वाग्रह हैं. यह जरूर है कि कई फिल्मी सितारों का सामान्य ज्ञान शून्य है लेकिन बेवकूफी पर हंसने की बारी आएगी तो चुना जाएगा खूबसूरत और निर्दोष सी लगने वाली आलिया भट्ट को. अगली दफा हंसते हुए सोचिएगा क्या आप औरतों के खिलाफ हंस रहे हैं.