scorecardresearch
 
Advertisement
भारत

साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव

साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 1/13
12 सितंबर को डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में तैनात भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी का शव बरामद हुआ था. दो साथियों को बचाने के दौरान उनकी जान चली गई थी. बता दें, उनका शव 6 दिन बाद मिला था.



साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 2/13
आपको बता दें, दिल्ली निवासी लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी जो मध्य अफ्रीकी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में मिलिट्री स्टॉफ ऑफिसर के रूप में तैनात थे, 8 सितंबर को गोमा के पास चेगेरा द्वीप के पास कीवु लेक में कयाकिंग करने गए थे. कुछ देर बाद साथ गए सभी लोग वापस अपने कैंप लौट आए, लेकिन गौरव सोलंकी वापस नहीं आए.

साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 3/13
भारतीय सेना से जुड़े सूत्रों के अनुसार, लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी शनिवार दोपहर से लापता थे, और उनके लापता होने के बाद तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया था.

सोलंकी का करियर....
उन्होंने दिल्ली के धौला कुंआ स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की. वो अकेडमी के क्रिकेट टीम और टेनिस टीम में भी रहे.

साल 2000 में सोलंकी ने एनडीए ज्वाइन किया. इसके बाद 2002 में वो स्क्वाड्रन कैडेट कैप्टन के रूप में पासआउट हुए. 2003 में वो 6 जाट रेजिमेंट से जुड़े और 2004/5 में घातक प्लाटून में शामिल हुए.

इसके बाद मणिपुर 2006 में काउंटर इंसर्जेंसी ऑप्स में कंपनी कमांडर बने. इसके बाद 2007 में वो स्पेशल फोर्सेज में शामिल हुए. इसके अलावा 4 पैरा स्पेशल फोर्सेज में चयनित हुए और 2007 से 2010 तक जम्मू-कश्मीर में इनका संचालन किया.

इसके बाद 2010-12 में इंडियन मिलिट्री अकेडमी में पोस्टिंग पाई. अगस्त 2014 में उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया. 2014 में उन्हें 12 पैरा स्पेशल फोर्सेज में शामिल किया गया.

इसके बाद उन्होंने 2015 में DSSC एग्जाम पास किया. 2017 में उन्होंने DSSC परीक्षा पास किया और बुकर सम्मान से सम्मानित किया गया.

इसके बाद उन्हें CONGO, MONUSCO के लिए मिल ऑब्जर्वर के रूप में चुना गया और अगस्त 2017 में संयुक्त राष्ट्र मिशन के लिए रवाना हुए.
Advertisement
साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 4/13
कहां मिला शव

लेफ्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी के लिए सर्च अभियान जोरदार तरीके से चलने लगा. बाद में उनका शव कीवु झील के अंदर मिला, जो चेगेरा द्वीप से करीब एक किलोमीटर अंदर था. आपको बता दें, कॉंगो में रवांडा के साथ लगती सीमा पर एक झील है जिसका नाम है ‘कीवू’ है जो विश्व की 10 सबसे गहरी झीलों में से एक है. बताया जाता है कि इस झील की गहरायी लगभग 400 मीटर तक है और इस झील के तल से मीथेन गैस निकलती रहती है.

साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 5/13
यह झील बहुत बड़ी है और इसका क्षेत्रफल कई किलोमीटर तक फैला हुआ है और इसके अंदर ही कई छोटे-छोटे द्वीप भी हैं. जहां कयाकिंग व रोयिंग की जाती है.
साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 6/13
क्या है ये खेल

क्याकिंग एक ऐसा खेल है जिसमें एक छोटी सी किश्ती होती है जिसमें आमतौर पर एक ही व्यक्ति सवारी करता है जो अपने दोनों हाथों में एक ही चापू को पकड़ कर अपनी नाव को खेता है. लेकिन कभी कभार वह नाव 2 व्यक्तियों के लिए बैठने के लिए भी होती है. उस नाव को 'क्याक' कहते हैं.
साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 7/13
इन दोनों छोटे द्वीपों में से एक द्वीप पर एक कैफे भी है जहां पर आमतौर पर यूएन मिशन के तहत गई हुई विभिन्न देशों की शांति सेना के सैनिक और अफसर ही जाते हैं. पर्यटक तो इस देश में शायद ही कोई जाता हो. पर्यटकों का न जाने का एक मुख्य कारण है, कॉंगो में फैली अराजकता और हिंसा.


साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 8/13
लूटपाट और हिंसा का आलम यह है कि जगह-जगह लाशें पड़ी रहती हैं, जिन्हें कोई उठाता तक नहीं है. यह हालत किसी दूर-दराज क्षेत्र की नहीं है, बल्कि शहरों तक यही हालत है.

साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 9/13
कीवू झील में कुछ अफसर कयाकिंग कर रहे थे. क्याक दो थी और दोनों पर दो-दो अफसर थे कि अचानक एक क्याक पानी में पलट गई जिससे उस पर सवार दोनों अफसर डूबने लगे. इन्हें डूबता देख गौरव सोलंकी ने बचाने के लिए झील में छलांग लगा दी.
Advertisement
साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 10/13
लेफ़्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी ने दोनों अफसरों को बचा लिया लेकिन परमात्मा को कुछ और ही मंजूर था कि वह खुद को नहीं बचा सके और पानी में डूब गए.
साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 11/13
बताया जा रहा है कि अपने दोनों साथियों को बचाने के दौरान वह थकान के कारण खुद पर नियंत्रण नहीं रख सके और गहरे पानी में डूब गए.
साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 12/13
लेफ़्टिनेंट कर्नल गौरव सोलंकी ने आगामी 16 सितंबर को भारत वापस आना था. वो वापस आकर अगले कुछ दिनों में भारत में अपने रेजिमेंट में शामिल होने वाले थे.
साथियों को बचाने के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल सोलंकी ने दे दी जान, 6 दिन बाद मिला शव
  • 13/13
गौरव सोलंकी के पीछे उसकी पत्नी और एक जवान बेटा है जो उसके गृह नगर दिल्ली में रहते हैं.



(सभी तस्वीरें: मानसी मिश्रा)
Advertisement
Advertisement