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भारत

देवनागरी-उर्दू समझ नहीं पाए अफसर, सैकड़ों लोगों को किया NRC से बाहर

देवनागरी-उर्दू समझ नहीं पाए अफसर, सैकड़ों लोगों को किया NRC से बाहर
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असम में एनसारसी ड्राफ्ट जारी होने के बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं. यह सामने आया है कि कई हिंदी भाषियों के नाम एनआरसी ड्राफ्ट से इसलिए गायब हैं क्योंकि उन्होंने नागरिकता साबित करने के लिए जमा किये दस्तावेज देवनागरी या उर्दू भाषा में थे.
देवनागरी-उर्दू समझ नहीं पाए अफसर, सैकड़ों लोगों को किया NRC से बाहर
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इस बारे में ऑल असोम भोजपुरी परिषद के अध्यक्ष मोहन कुमार शाह ने बताया कि मैं बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से आता हूं. मैंने जो दस्तावेज जमा किये वो 1951 के हैं. उनकी भाषा या तो देवनागरी में है या उर्दू में. मेरे साथ कई और भी लोगों ने दूसरी भाषा में दस्तावेज जमा किये थे. उनके नाम भी मेरी तरह लिस्ट से गायब हैं.
देवनागरी-उर्दू समझ नहीं पाए अफसर, सैकड़ों लोगों को किया NRC से बाहर
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मोहन ने आगे बताया कि जब उन्होंने दस्तावेज के बारे में अधिकारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि वो दूसरी भाषा में जमा किये दस्तावेज समझ नहीं सके और नाम एनआरसी लिस्ट से हटा दिया.  

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एनआरसी की इन गड़बड़ियों के खिलाफ गुरुवार को सैकड़ों लोग तिनसुकिया जिले में सड़कों पर उतरे. लोगों का कहना है कि वो हिंदी भाषी होने के बावजूद एनआरसी लिस्ट में नहीं है. इसकी शिकायत वो मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनवाल और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से करेंगे.  

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मालूम हो कि एनआरसी जारी होने के बाद ऐसे सैकड़ों मामले सामने आए हैं जिनमें असम में बड़ी तादाद में दूसरे प्रदेशों से आए लोगों को भी अवैध नागरिक घोषित कर दिया गया है.
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शाह बताते हैं कि बिहार, उड़ीसा और झारखंड से चाय के बागानों में खेती करने के लिए ब्रिटिशों ने कई मजदूरों को असम लाया था. 1950 के दौरान जब असम में चाय की खेती फलफूल रही थी तब भी कई लोग यहां आए और बस गए. तब से लेकर अब तक ऐसे सैकड़ों परिवार हैं जो असम में दूसरे प्रदेशों से आए हैं.
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