20 साल पहले बने नरेगा कानून को मोदी सरकार खत्म करके नया जी-राम-जी कानून बना रही है. लोकसभा में आज बुधवार को ये बिल पेश हुआ, जिस पर चर्चा जारी है. इसके लिए 6 घंटे का समय तय किया गया है. इस विधेयक का विपक्ष ने विरोध किया है, क्योंकि पहले दिन से विपक्ष ने इस कानून में से महात्मा गांधी का नाम हटाने और राज्यों के सिर पर 40 फीसदी का बोझ डालने का विरोध कर रहा है.
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह विधेयक सदन में पेश किया, जिसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली. बिल पेश करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि VB-G RAM G बिल महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने वाला विधेयक है. हालांकि विपक्ष ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया.
कांग्रेस की ओर सांसद जयप्रकाश, के. सुरेश, सप्तगिरी उलाका, ज्योत्सना महंत, बेनी बेहनन, प्रतिनिती शिंदे, इमरान मसूद, तारिक अनवर और संजना जातव सरकार द्वारा पेश विधेयक पर जवाब देंगे.
कांग्रेस नाम बदलने का कर रही विरोध
दरअसल, अब रोजगार गारंटी कानून को लेकर सियासत बापू बनाम रामजी के नाम की हो चुकी है. कांग्रेस आरोप लगा रही है कि बीजेपी महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज से रामराज वाली फिलॉसफी वाले कानून को खत्म करके जय श्रीराम वाला जी राम जी कानून लाकर धार्मिक राजनीति का फायदा उठाने की कोशिश कर रही है. विपक्ष की शिकायत है कि सरकार इस प्रस्तावित कानून के जरिये गांवों में रोजगार की गारंटी वाले कानून को खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है.
भाजपा ने आरोपों को किया खारिज
वहीं भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है. पार्टी का कहना है कि VB-G RAM G बिल के तहत संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल होगा, भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी और वास्तविक जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचेगा. सरकार ने यह भी भरोसा दिलाया कि रोजगार के दिन बढ़ाने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी.
मनरेगा स्कीम क्या है?
महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (MGNREGA), एक इंडियन लेबर लॉ और सोशल सिक्योरिटी उपाय है, जिसका मकसद 'काम करने के अधिकार' की गारंटी देना है. इसे शुरू में नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट 2005 कहा जाता था.
यह स्कीम एक फ्लैगशिप प्रोग्राम है, जिसका मकसद ग्रामीण परिवारों की रोजी-रोटी की सिक्योरिटी को बेहतर बनाना है. इसके लिए हर उस घर को एक फाइनेंशियल ईयर में कम से कम 100 दिन की गारंटी वाली नौकरी दी जाती है, जिसके बड़े सदस्य अपनी मर्ज़ी से अनस्किल्ड मैनुअल लेबर करते हैं.
MGNREGA दुनिया के सबसे बड़े वर्क गारंटी प्रोग्राम में से एक है, जिसे 2005 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने शुरू किया था. 2022-23 तक, MGNREGA के तहत 15.4 करोड़ एक्टिव वर्कर हैं. इस योजना का मकसद अधिकारों पर आधारित फ्रेमवर्क के ज़रिए पुरानी गरीबी की वजहों को दूर करना है. बेनिफिशियरी में कम से कम एक-तिहाई महिलाएं होनी चाहिए.
MGNREGA के डिज़ाइन का सबसे ज़रूरी हिस्सा यह है कि यह किसी भी ग्रामीण बड़े व्यक्ति को काम मांगने के 15 दिनों के अंदर काम दिलाने की कानूनी गारंटी देता है, और ऐसा न करने पर 'बेरोज़गारी भत्ता' दिया जाना चाहिए. इन कामों की प्लानिंग और उन्हें लागू करने में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को अहम भूमिका देकर डीसेंट्रलाइज़ेशन की प्रक्रिया को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया. यह एक्ट ग्राम सभाओं को किए जाने वाले कामों की सिफारिश करने का अधिकार देता है और कम से कम 50% काम उन्हें ही करने होंगे.