दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने हरियाणा और पंजाब सरकारों से उनके राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का डेटा मांगा है. दोनों राज्यों के वकीलों को एक हफ्ते के अंदर यह डेटा पेश करने का निर्देश दिया गया है. एमिकस क्यूरी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों का डेटा या तो अपलोड नहीं किया जा रहा है या गलत डेटा अपलोड किया जा रहा है.
एमिकस ने कहा कि दिल्ली में हवा खतरनाक श्रेणी में है और इस मामले को तुरंत सुने जाने की मांग की. मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई सोमवार को करेंगे.

इस बीच, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने पराली जलाने पर कंट्रोल में खामी के लिए फतेहाबाद के उपायुक्त (DC) को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.
फतेहाबाद DC को CAQM का नोटिस
CAQM ने इस सीज़न में पराली जलाने की घटनाओं को कंट्रोल करने में जिले की खराब स्थिति के कारण उपायुक्त विवेक भारती को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. आयोग ने 17 नवंबर, 2025 की शाम 5:00 बजे तक लिखित स्पष्टीकरण मांगा है. जवाब नही मिलने पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन अधिनियम की धारा 14 के तहत सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.

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आंकड़ों में लापरवाही और सख्ती की चेतावनी
नोटिस में आयोग ने 1 से 9 नवंबर के बीच फतेहाबाद में खेतों में आग लगने की घटनाओं में 'महत्वपूर्ण तेजी' पर चिंता जताई. 15 सितंबर से 9 नवंबर के बीच 59 मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें से सिर्फ 8 और 9 नवंबर को ही 28 मामले दर्ज हुए. CAQM ने कहा कि बार-बार निर्देशों के बावजूद पर्याप्त पर्यवेक्षण और कार्रवाई लागू नहीं की गई.
हरियाणा के सुधार पर सवाल
CAQM ने बताया कि हरियाणा में इस साल खेतों में आग लगने की 206 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह संख्या 888 थी. आयोग ने इसे सिर्फ 'मामूली सुधार' बताया. आयोग ने मई 9, 2025 के वैधानिक निर्देश संख्या 90 का भी जिक्र किया, जिसमें पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को 2025 की कटाई के मौसम के दौरान पराली जलाने को पूरी तरह से समाप्त करने का निर्देश दिया गया था.
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कड़े जुर्माने और निर्देशों की अनदेखी
नोटिस में अधिनियम की धारा 14(1) का हवाला दिया गया, जिसमें आयोग के आदेशों का पालन न करने पर पांच साल तक की जेल या ₹1 करोड़ तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है. CAQM ने कहा कि फतेहाबाद जिले में ऑन-ग्राउंड प्रवर्तन की पर्याप्त कमी दिखाई दी है. आयोग ने चेतावनी दी है कि अगर DC निर्धारित समय तक स्पष्टीकरण नहीं देते हैं, तो अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई शुरू की जाएगी.